छोटे नोटों का संकट: ATM और बैंक परेशान

💸 कैश क्राइसिस: ATM और बैंकों में ₹10, ₹20, ₹50 के छोटे नोटों का संकट गहराया; RBI की सीमित आपूर्ति बनी बड़ी वजह

 

नई दिल्ली/लखनऊ — देश के बैंकिंग सिस्टम और एटीएम (ATM) में इन दिनों छोटे मूल्यवर्ग के नोटों (Small Denomination Notes) की भारी कमी महसूस की जा रही है, जिससे आम जनता और कारोबारियों को लेन-देन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ₹10, ₹20 और ₹50 के नोटों की मांग बढ़ने के बावजूद, बैंकों के लिए इन्हें उपलब्ध कराना मुश्किल हो रहा है।

🏦 करेंसी चेस्ट और ATM सिस्टम की समस्या

 

बैंक अधिकारियों के अनुसार, इस छोटी करेंसी का संकट कई वजहों से बढ़ रहा है:

  1. ATM फीडिंग का अभाव: अधिकांश एटीएम मशीनों में ₹100 से नीचे के नोटों (जैसे ₹10, ₹20, ₹50) को फीड करने का सिस्टम नहीं होता है। इससे इन नोटों का सर्कुलेशन प्रभावित होता है और इन्हें सीधे ग्राहकों तक पहुंचाना पड़ता है।

  2. करेंसी चेस्ट की सीमाएं: बैंकों के करेंसी चेस्ट में जगह सीमित होती है। बड़े नोटों (₹500, ₹200) को कम जगह में आसानी से रखा जा सकता है, जबकि छोटे नोटों के लिए अधिक जगह की आवश्यकता होती है। इसलिए बैंक छोटे नोटों को रखने में कम दिलचस्पी दिखाते हैं।

  3. चेस्ट की घटती संख्या: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) जैसी प्रमुख बैंकों में करेंसी चेस्ट की संख्या पहले की तुलना में कम हुई है, जिससे नोटों की आपूर्ति और प्रबंधन में दिक्कत आ रही है।

📉 RBI और डिजिटल भुगतान का असर

 

बैंक अधिकारियों का एक वर्ग मानता है कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने ही जानबूझकर छोटे नोटों की आपूर्ति को सीमित कर दिया है।

  • डिजिटल भुगतान प्रोत्साहन: सरकार द्वारा लगातार डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) को बढ़ावा देने की कोशिशों के बीच, RBI ने नोटों की आपूर्ति ‘तंग हाथों’ से की है।

  • दीपावली के बाद आपूर्ति में कमी: दीपावली के दौरान तो RBI ने बैंकों को पर्याप्त छोटे नोट दिए थे, लेकिन अब वे नोट बाजार में खप चुके हैं और नई आपूर्ति कम आ रही है।

👰 शादी-ब्याह और कमीशनबाजी ने बढ़ाई किल्लत

 

सहालग (शादी-विवाह का मौसम) शुरू होने के कारण छोटे नोटों की मांग चार से पांच गुना तक बढ़ गई है। मांग में इस अचानक उछाल ने संकट को और गहरा दिया है।

  • कमीशन का खेल: मांग ज्यादा होने के कारण कुछ लोग इसमें कमीशनखोरी का जरिया तलाश लेते हैं। बैंक कर्मचारियों से मिलकर बड़ी मात्रा में छोटे नोटों की गड्डियां निकाल ली जाती हैं, और फिर इन्हें दुकानदारों व ज़रूरतमंदों को कमीशन लेकर बेचा जाता है। इससे बड़े पैमाने पर करेंसी कुछ हाथों में केंद्रित हो जाती है और बाजार में कमी आ जाती है।

  • अग्रिम स्टॉक: एलडीएम डॉ. वीके अरोरा ने बताया कि कई परिवारों ने सहालग को देखते हुए पहले ही नोटों की गड्डियां सुरक्षित रख ली थीं, जो अब धीरे-धीरे खप चुकी हैं।

फिलहाल, आधिकारिक तौर पर किसी बैंक ने कैश की कमी की सूचना नहीं दी है, लेकिन बाजार में ₹100 से नीचे के नोटों को लेकर गंभीर परेशानी बताई जा रही है।


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