10वें राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव, 2019 के सागर अध्याय की आज शुरूआत   

राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव, 2019 सभी क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों के कलाकारों और स्थानीय लोगों के पारंपरिक तथा शास्त्रीय प्रदर्शनों के साथ मनाया जाएगा

​​​​​राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव (आरएसएम), 2019 जबलपुर में अपने समापन के बाद आज मध्यप्रदेश के सागर में पहुंच गया है। स्थानीय लोगों और पूरे राज्य से आए दर्शकों ने इसका भरपूर स्वागत किया। सागर का कार्यक्रम स्थल पीटीसी मैदान, पीली कोठी रोड, सिविल लाइन्स दर्शकों से खचाखच भरा था। पहले दिन क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों द्वारा नृत्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसके बाद मुख्य मंच पर मध्यप्रदेश के स्थानीय कलाकारों द्वारा पारंपरिक कार्यक्रम “माटी के लाल” प्रस्तुत किया गया। एनईजेडसीसी के कलाकारों द्वारा पूर्वोत्तर नृत्य रूपों ने अपनी सुंदर कोरियोग्राफी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

राष्ट्रीय संस्कृत महोत्सव हमारी सांस्कृतिक विविधता का “सभी में एकता” के प्राचीन उद्देश्य के साथ समन्वय करने में एक प्रमुख भूमिका निभाने के कारण देश के लोगों से निरंतर प्रसन्नता और लोकप्रियता हासिल कर रहा है। इस प्रकार इसे कालाकारों और दर्शकों द्वारा समान रूप से बड़ा प्यार और प्रशंसा मिल रही है क्योंकि इससे “एक भारत श्रेष्ठ भारत मैट्रिक्स” के तहत हमारे देश की दुर्लभ और छुपी सांस्कृतिक परंपराओं को खोजने का अवसर प्राप्त हो रहा है।

यह उत्सव धातु शिल्प का प्रदर्शन करने के लिए गुजरात, जोधपुर प्रदर्शनी वस्तुओं की ब्लॉक प्रिटिंग, पश्चिम बंगाल की हस्तनिर्मित रेशम सामग्री की बिक्री, राजस्थान की रंगीन कांच की चूड़ियों के प्रदर्शन के लिए दस्तकारों को एक मंच पर लाया है। सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों के तहत विभिन्न राज्यों में अपने स्टॉल लगाए हैं, जहाँ दर्शकों की भीड़ लग रही है और पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए इन वस्तुओं की भारी खरीदारी हो रही है। उसी छत के नीचे हस्तशिल्प के अलावा बिहार के लिट्टी चोखा, चंद्रकला-खाजा, गुजरात के ढोकला-थेपला-खांडवी, पंजाब के छोले –भटूरे, अमृतसरी नान जैसे परंपरागत स्वाद के साथ-साथ अन्य भागीदारी राज्यों द्वारा भी अपने-अपने व्यंजनों के स्टॉल लगाए हैं। सागर के लोगों ने हस्तशिल्प व्यंजन, मूर्तिकला, फोटोग्राफी और अभिनय कला तथा लाजवाब खरीदारी यात्रा का एक ही परिसर में अनुभव प्राप्त किया है।

सागर ने पहले दिन वृंदावन अनुसंधान संस्थान द्वारा प्रस्तुत रासलीला जैसे अभूतपूर्व अभिनय प्रदर्शन का भरपूर आनंद उठाया। इसमें कृष्णलीला की अमरकथा को सुंदर निर्देशन और रचना के साथ भव्य चित्रण द्वारा प्रस्तुत किया गया। इससे दर्शक अवाक रह गए। शिवचरण साहू द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम “छाउ” ने भी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अंत में रूप कुमार राठौड़ और सोनाली राठौड़ की सुरीली प्रस्तुति को भी दर्शकों का भरपूर प्यार और समर्थन प्राप्त हुआ। रूप कुमार की जादूभरी आवाज ने शास्त्रीय घराने की सुमधुर स्थिति में और बढ़ोत्तरी कर दी। सोनाली राठौड़ ने जो भी गाना गाया उसमें भावनाओं का मनोहर रूप से समावेश किया गया था। यह महोत्सव सागर में कल भी जारी रहेगा और इसमें भरतनाट्यम प्रस्तुतियां, पारंपरिक और लोकनृत्य तथा संगीत कार्यक्रम मुख्य रूप से आकर्षण का केंद्र रहेंगे।

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