फिजूलखर्ची का नहीं, भावनाओं का त्यौहार है रक्षाबंधन-निकिता रावल 

फिजूलखर्ची का नहीं, भावनाओं का त्यौहार है रक्षाबंधन-निकिता रावल 
मुंबई (अनिल बेदाग) : शोबिज़ की चकाचौंध और कैमरों की लगातार गहमागहमी के बीच अभिनेत्री निकिता रावल ने इस साल अपने रक्षाबंधन समारोह को ताज़गी से भरपूर और वास्तविक बनाए रखने का फैसला किया। दिखावटीपन से दूर, अभिनेत्री ने अपनी गुजराती जड़ों को अपनाया और अपने प्यारे भाई के साथ बेहद सादगी भरे लेकिन भावपूर्ण अंदाज़ में इस अवसर को मनाया।
एक खूबसूरत पारंपरिक पोशाक पहने निकिता ने अपने भाई की कलाई पर पवित्र राखी बाँधी, जो प्रेम, सुरक्षा और विश्वास के शाश्वत बंधन का प्रतीक है। उत्सव की गर्मजोशी साफ़ दिखाई दे रही थी। कोई दिखावटी सजावट नहीं, कोई दिखावटी तामझाम नहीं, बस घर के आराम में लिपटा भाई-बहन का शुद्ध स्नेह।
इस त्योहार के बारे में बात करते हुए निकिता ने कहा, “रक्षाबंधन भावनाओं का त्योहार है, फिजूलखर्ची का नहीं। मेरे लिए, असली खूबसूरती साथ समय बिताने, पुरानी यादों को संजोने और नई यादें बनाने में है।” उनके शब्दों के अनुसार, इस समारोह में घर पर बनी गुजराती थाली, बचपन की कहानियों पर हँसी-मज़ाक और दिल से दुआओं का आदान-प्रदान शामिल था।
ऐसी दुनिया में जहाँ त्यौहार अक्सर दिखावटी दिखावे में खो जाते हैं, निकिता का तरीका एक सौम्य अनुस्मारक था कि कभी-कभी, सबसे साधारण उत्सव भी गहरे अर्थ रखते हैं। उनके लिए रक्षाबंधन सिर्फ़ एक रस्म नहीं था। यह ज़मीन से जुड़ने, अपनी संस्कृति से जुड़ने और प्यार का जश्न मनाने का एक पल था जिसे पैसों से नहीं खरीदा जा सकता।

गोपाल चंद्र अग्रवाल संपादक आल राइट्स मैगज़ीन

मुंबई से अनिल बेदाग की रिपोर्ट

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