इफ़्तार की दुआ, रोज़ा इफ़्तार के बाद पढ़नी चाहिए- मुफ़्ती नश्तर फ़ारूक़ी

प्रेस विज्ञप्ति
दरगाह आला हज़रत/ताजुश्शरिया
बरेली ।।
15-04-2021

 

दरगाह आला हज़रत से मरकज़ी दारूल इफ्ता के मुफ़्ती अब्दुर्रहीम नश्तर फ़ारूक़ी ने बताया कि अमूमन लोग मगरिब की अज़ान सुन कर पहले इफ़्तार की दुआ पढ़ते हैं फिर इफ़्तार करते हैं जबकि दुआ इफ़्तार के बाद पढ़नी चाहिए। इस सिलसिले में इमामे अहले सुन्नत सरकार आला हज़रत इर्शाद फरमाते है कि दलील यह है कि दुआ रोज़ा इफ़्तार करके पढ़े। इफ़्तार की दुआ (अल्लाहुम्मा लका सुमतु व बिका आमन्तु व अलैका तवक्कलतु व आला रिज़कीका अफतरतु ) यानी ऐ अल्लाह मैंने तेरे लिए रोज़ा रखा और तुझ पर ईमान लाया और तुझ पर भरोसा किया और तेरे ही दिए हुए रिज़्क पर इफ़्तार किया) !

हदीसे पाक में आया है कि हुज़ूर नबीये करीम सल्ललाहु अलैहि व सल्लम पहले इफ़्तार फरमाते फिर यह दुआ पढ़ते। (फतवा-ए-रजविया की जिल्द 10, सफा 634) इस लिए मुसलमानों को चाहिए कि इफ़्तार के वक़्त बिस्मिल्लाह पढ़ कर खजूर या पानी से इफ़्तार करें फिर इफ़्तार की दुआ पढ़ें। उन्हों ने हदीसे पाक के हवाले से आगे बताया कि इफ़्तार का वक़्त दुआ क़बूल होने के मकबूल तरीन वक्तों में से एक है, इस वक़्त अल्लाह तआला कोई भी दुआ रद्द नहीं फ़रमाता। इस लिए अपने तमाम जायज़ मकासिद में कामयाबी के लिए इस वक़्त ख़ुसूसी दुआ का एहतिमाम ज़रूर करें ।।

 

 

बरेली से मोहम्मद शीराज़ ख़ान की रिपोर्ट !

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