PIB : संसद प्रश्न: अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आंध्र प्रदेश की सक्षमता
अंतरिक्ष विभाग की स्वायत्त एजेंसी – भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र – इन-स्पेस ने आंध्र प्रदेश सहित भारत के विभिन्न राज्यों से अंतरिक्ष निर्माण क्लस्टर स्थापित करने में उनकी रुचि जानने के लिए संपर्क किया है।
इन-स्पेस, राज्य सरकार द्वारा निर्धारित अंतरिक्ष निर्माण क्लस्टर में तकनीकी सुविधा स्थापित करने के बारे में परामर्श देगा। आंध्र प्रदेश सरकार ने हाल में अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए राज्य स्तरीय नीति घोषित की है।
इन-स्पेस गैर-सरकारी संस्थाओं (नॉन-गवर्नमेंटल एन्टिटीज़) को सुविधा-मार्गदर्शन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, वित्तीय सहायता आदि प्रदान करता है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार आंध्र प्रदेश में कुल 11 एनजीई, इन-स्पेस के साथ पंजीकृत हैं। इनमें से 9 स्टार्ट-अप हैं। इन 11 गैर-सरकारी संस्थाओं में से केवल एक ने ही इन-स्पेस से सुविधा, प्रारंभिक निधि और प्राधिकृति सहायता प्राप्त की है।
अंतरिक्ष इंजीनियरिंग दक्षता और उद्यमिता में सुधार के लिए निम्नलिखित शैक्षिक पहल आरंभ की गई हैं:
इन-स्पेस ने अंतरिक्ष क्षेत्र में उद्योग और शिक्षा जगत के कौशल विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए 10 अल्पकालिक कौशल विकास पाठ्यक्रम संचालित किए हैं।
भारत में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी शिक्षा के लिए एक राष्ट्रीय समिति गठित की गई है ताकि शैक्षणिक संस्थानों में इसकी शिक्षा की सुविधा और बढ़ावा मिले।
अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में बी.टेक. माइनर डिग्री का पाठ्यक्रम तैयार किया गया है जिसे अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद – एआईसीटीई ने अनुमोदित कर दिया है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
ब्यूरो चीफ, रिजुल अग्रवाल