बरेली दरगाह-ए-आला हज़रत बरेली शरीफ में चल रहे 107वें उर्से रज़वी 2025 के दूसरे दिन इस्लामिया मैदान में भव्य नामूस-ए-रिसालत, आपसी सौहार्द और मसलक-ए-आला हज़रत कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ।

बरेली। दरगाह-ए-आला हज़रत बरेली शरीफ में चल रहे 107वें उर्से रज़वी 2025 के दूसरे दिन इस्लामिया मैदान में भव्य नामूस-ए-रिसालत, आपसी सौहार्द और मसलक-ए-आला हज़रत कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ।

दुनिया भर से आए लाखों ज़ायरीन और सूफी उलेमा ने शिरकत की। कॉन्फ्रेंस की सदारत दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) और सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने की, वहीं सय्यद आसिफ मियां ने संचालन की निगरानी की।

कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 8 बजे तिलावत-ए-कुरान से हुई। नात व मनक़बत के बाद प्रमुख उलेमा ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर मुफ्ती सलीम बरेलवी ने कहा कि “दुनिया के तमाम मुल्कों में सबसे खूबसूरत संविधान भारत का है।

हमें राजनीतिक दलों के झगड़ों से ऊपर उठकर अपने देश की तरक्की और खुशहाली के लिए काम करना होगा। मुसलमानों के बच्चों को शरीयत के साथ-साथ संविधान की भी शिक्षा देना बेहद ज़रूरी है।”

मुल्क से वफादारी हर मज़हबी फर्ज़ से अहम

कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मुफ्ती सलीम नूरी ने कहा कि “अपने मज़हब और मसलक का सच्चा वफादार वही है जो अपने मुल्क का वफादार और देश प्रेमी हो। मदरसों को शक की निगाह से देखने वाले भूल जाते हैं कि आज़ादी की लड़ाई में कई बड़े मुजाहिदीन इन्हीं मदरसों से निकले।”

वहीं, कारी सखावत मुरादाबादी ने देशभर के इमामों और उलेमा से अपील की कि जुमे की नमाज़ के खुत्बों में आपसी सौहार्द, भाईचारे और मोहब्बत का संदेश दिया जाए।

मुफ्ती अब्दुल रऊफ (कश्मीर रजौली) ने कहा कि “नामूस-ए-रिसालत की हिफाज़त हर मुसलमान का फर्ज़ है, इसलिए मसलक-ए-आला हज़रत पर क़ायम रहना होगा और वहाबी विचारधारा से दूर रहना होगा।”

मौलाना मुख़्तार बहेडवी ने ऐतिहासिक घटनाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि “मुफ्ती-ए-आजम हिंद ने मुल्क के बंटवारे के वक्त दोनों समुदायों के बीच नफ़रत की दीवार को दुआ और अपने किरदार से मिटाने का काम किया।”

सामाजिक बुराइयों पर फिक्र, आला हज़रत कॉरिडोर की मांग

कार्यक्रम के संचालन कर रहे कारी यूसुफ रज़ा सम्भली ने समाज में बढ़ रही बुराइयों जैसे – नशाखोरी, ब्याज का कारोबार, महिलाओं पर ज़ुल्म, शादियों में फिजूलखर्ची और डीजे संस्कृति पर चिंता जताई और लोगों से इनसे बचने की अपील की।

वहीं, मौलाना जाहिद रज़ा और मुफ्ती बशीर उल क़ादरी ने कहा कि बरेली की पहचान आला हज़रत से है और यहां आला हज़रत कॉरिडोर बनाया जाना चाहिए।

मॉरीशस, नेपाल और अन्य देशों से आए उलेमा ने भी आला हज़रत को खिराज-ए-अकीदत पेश किया।

कुल शरीफ और दुआएं

रात में मुफस्सिर-ए-आज़म और रेहान-ए-मिल्लत के कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। इस मौके पर कारी अब्दुर्रहमान क़ादरी ने फातिहा पढ़ाई और मुफ्ती आकिल रज़वी ने मुल्क की तरक्की और उम्मत की खुशहाली के लिए दुआ की। इसी दौरान मुफ्ती आकिल रज़वी की लिखी किताब “इमदादुल कारी” की नौवीं जिल्द का विमोचन दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां ने किया।

उर्से रज़वी 2025 का अगला कार्यक्रम

मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि

20 अगस्त (बुधवार) की सुबह फज्र की नमाज़ के बाद कुरानख्वानी होगी।

8 बजे इस्लामिया मैदान में उलेमा की तकरीरें होंगी।

दोपहर 2:38 बजे कुल शरीफ की रस्म अदा की जाएगी।

इसी के साथ तीन दिवसीय उर्से रज़वी 2025 का समापन होगा।

नोट – यह सारी जानकारी मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने दी है

बरेली से रोहिताश कुमार की रिपोर्ट

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