जम्मू-कश्मीर : आतंक के खिलाफ सबसे बड़े ऑपरेशन, NSG कमांडो तैनात
जम्मू कश्मीर में बढ़ रही आतंकी घटनाओं के बीच वहां NSG की टीम तैनात की गई है. गृह मंत्रालय को उम्मीद है कि एनएसजी की तैनाती से वहां आतंकी घटनाओं पर लगाम लगेगा. साथ ही NSG को भी लाइव मुठभेड़ों से निपटने का अनुभव प्राप्त होगा. हालांकि वहां कई एजेंसियां होने की वजह से सेना को कुछ एतराज़ था, लेकिन पिछले ही महीने गृह मंत्रालय ने इनकी तैनाती को हरी झंडी दे दी थी. फिलहाल NSG बीएसएफ़ के साथ मिलकर उनके हुमहमा कैंप में ट्रेनिंग कर रही है.
अभी तक ऐसी स्थिति से निपटने के लिए आर्मी और सीआरपीएफ अपना अभियान चलाती है. ऑपरेशन के दौरान वह फायर पावर का ज्यादा इस्तेमाल करती है, जिसके कारण सुरक्षाकर्मी या आम नागरिकों को ज्यादा क्षति पहुंचती है.
नेशनल सिक्योरिटी गार्ड यानि एनएसजी, की स्थापना वर्ष 1984 में हुयी थी। यह वो वक्त था जब भारत के पंजाब राज्य में अलग खालिस्तान राज्य की मांग को लेकर एक आंदोलन चलाया जा रहा था। जिसकी वजह से समूचे पंजाब की सुरक्षा व्यवस्था को खतरा उत्पन्न हो गया था। पंजाब में कानून व्यवस्था और आतंकी वारदातों को रोकने के लिए स्पेशल फोर्स की जरुरत महसूस हुई, जिसके बाद एनएसजी की स्थापना की गयी।
एनएसजी कमांडो काले रंग की ड्रेस पहनते हैं, जिसकी वजह से इन्हें ब्लैक कैट कमांडो भी कहा जाता है। एनएसजी कमांडो की शुरुआती 90 दिनों की ट्रेनिंग हरियाणा के मानेसर में होती है। इस ट्रेनिंग को पूरी करने वाले सैनिकों को नौ महीने की और ट्रेनिंग दी जाती है, जिसके तहत उन्हे 26 पैमानों पर खरा उतरना होता है। इस ट्रेनिंग के दौरान उन्हें ऊंचाई से छलांग लगाने के साथ तनाव के दौरान कार्य करने, निशाना लगाना की ट्रेनिंग दी जाती है।
एनएसजी कमांडो को पार्कर और पेक्की-तिरसिया काली की तर्ज पर प्रशिक्षित किया हैं, जो कि फिलीपींस के मार्शल आर्ट का एक रूप है। नौ माह की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इन्हें अगले दौर की ट्रेनिंग दी जाती है। यह ट्रेनिंग इनती कठिन होती है कि इसमें करीब 50 से 70 फीसद सैनिक बाहर निकल जाते हैं। एनएजी कमांडो को सीधे सिर पर गोली मारने की ट्रेनिंग दी जाती है।