एनडीए का सहयोगी दल होने के बावजूद लोकसभा में तीन तलाक़ का विरोध क्यों कर रही जेडीयू?

लोकसभा में गुरुवार को तीन तलाक़ बिल पेश किया गया लेकिन एनडीए में सहयोगी दल जेडीयू इसका विरोध कर रही है.

लोकसभा में गुरुवार को तीन तलाक़ बिल पेश किया गया लेकिन एनडीए में सहयोगी दल जेडीयू इसका विरोध कर रही है. जेडीयू  पहले भी इस मुद्दे पर विरोध करती रही है. जेडीयू का मानना है कि इस बिल पर चर्चा नहीं हुई है और ना ही एनडीए में अन्य दलों के साथ इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए चर्चा की गई. इससे पहले जून में भी जेडीयू ने साफ कर दिया था कि वह मौजूदा स्वरूप में इस बिल का समर्थन नहीं करेगी. जेडीयू बिल को स्टैंडिंग कमेटी को भेजने की मांग भी कर सकती है. अब सत्ताधारी पार्टी के लिए समस्या ये है कि एक तरफ विपक्ष इसका विरोध कर रहा है और दूसरी तरफ एनडीए की सहयोगी पार्टी भी इसके विरोध में है.

एनडीए का सहयोगी दल होने के बावजूद लोकसभा में तीन तलाक का विरोध क्यों कर रही जेडीयू?

बता दें कि लोकसभा में तीन तलाक़ बिल पेश कर दिया गया है. बिल पर चर्चा करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्रिपल तलाक़ बिल पर लोकसभा में कहा, ‘ट्रिपल तलाक़ पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 24 जुलाई, 2019 तक 345 मामले सामने आ चुके हैं.’ साथ ही उन्होंने कहा कि यह इंसाफ और इंसानियत का मामला है, हमें मुस्लिम बहनों की चिंता है. लोकसभा में जहां चर्चा के बाद उसके पास होने की उम्मीद है.

उन्होंने कहा, ‘इस बिल को लेकर बीजेपी ने अपने सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने के लिए कहा था.’ विधेयक में एक साथ तीन तलाक़ कह दिए जाने को अपराध करार दिया गया और साथ ही दोषी को जेल की सज़ा सुनाए जाने का भी प्रावधान है. अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार ने मई में इस बिल का मसौदा पेश किया था, जिसको लेकर कई विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई थी.

लोकसभा में तो सरकार के पास इस बिल को पास कराने के लिए पर्याप्त नंबर है लेकिन राज्यसभा से इसे पास कराना आसान नहीं होगा.

##बरेली से मोहम्मद शीराज़ ख़ान की रिपोर्ट ##

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