Mumbai : निर्देशक साबिर शेख की फिल्म “ए रियल एनकाउंटर” का जबरदस्त ट्रेलर लॉन्च
शाहबाज खान, मुश्ताक खान, हिमायत अली, निर्देशक साबिर शेख की फिल्म “ए रियल एनकाउंटर” का जबरदस्त ट्रेलर लॉन्च
हिंदी फीचर फिल्म “ए रियल एनकाउंटर” का जबरदस्त ट्रेलर मुम्बई के इम्पा हाउस में मुश्ताक खान, हिमायत अली, अनिल नागरथ की मौजूदगी में लांच किया गया।
मैकनील इंजीनियरिंग लिमिटेड के बैनर तले बनी फिल्म के निर्माता प्रदीप चुरीवाल और निर्देशक साबिर शेख हैं फ़िल्म के लाइन प्रोड्यूसर प्रसेनजीत चक्रवर्ती और डिस्ट्रीब्यूटर एवन सिने क्रिएशन के बालकृष्ण श्रीवास्तव हैं शाहबाज खान एनकाउंटर स्पेशलिस्ट का रोल कर रहे हैं।
इस फ़िल्म में शाहबाज खान, एहसान खान, मुश्ताक खान, रज़ा मुराद, अली खान, हिमायत आलम अली, अखिलेश वर्मा, ब्रतुती गांगुली, अनिल नागरथ, राकेश पुजारा, संगीता सिंह, ऋषिकेश तिवारी, अमृत दुजारी और कलीम अख्तर जैसे कलाकारों ने अभिनय किया है।
फ़िल्म का ट्रेलर जबरदस्त है इसके संवाद भी बड़े प्रभावी हैं। “कब कौन किसका इनकाउंटर करके आगे बढ़ना चाहता है, यह कोई नही जानता।” या रज़ा मुराद का यह डायलॉग ज़ोरदार है “यह एनकाउंटर फर्जी है।”
यह फ़िल्म दरअसल मुस्कान नाम की एक लड़की के एनकाउंटर की कहानी के इर्दगिर्द घूमती है। क्या मुस्कान मासूम थी? यह आपको फ़िल्म देखकर पता चलेगा।
हिंदी के साथ साथ यह फ़िल्म गुजराती में भी रिलीज़ होगी फ़िल्म निर्देशक साबिर शेख ने कहा कि इस पिक्चर का बैकड्रॉप गुजरात बेस्ड है। गुजरात में हुए एक एनकाउंटर से प्रेरित यह कहानी बनाई गई है कोर्ट रूम ड्रामा भी है लेकिन जॉली एलएलबी से यह कहानी अलग है।
एनकाउंटर करने वाले पुलिसकर्मियों की क्या सिचुएशन होती है, फ़िल्म में दिखाया गया है पुलिस वाले केवल अपने सीनियर के आर्डर को फॉलो करते हैं, उनपर भी कई तरह के दबाव होते हैं। फ़िल्म में एक आइटम गीत भी है।”
क्या फ़िल्म कोई सामाजिक सन्देश भी देती है इस पर निर्देशक ने कहा कि फ़िल्म में यही मैसेज है कि माता पिता को पता होना चाहिए कि उनके बच्चे के दोस्त कौन हैं? उनके बच्चों की एक्टिविटी क्या है? कहीं वे गलत रास्ते पर तो नहीं जा रहे।
वेलकम फेम ऎक्टर मुश्ताक खान ने कहा कि बड़ी खुशी है कि यह फ़िल्म रिलीज़ हो रही है निर्देशक साबिर शेख को ढेर सारी शुभकामनाएं, वह बहुत अच्छे डायरेक्टर हैं, उन्होंने बेहद स्मूथ शूटिंग पूरी की मैंने इसमें हीरोइन के बाप का रोल किया है, काफी इमोशनल भूमिका है।
इस तरह के रोल मुझे कम मिलते हैं वरना अक्सर मुझे कोई पुलिस अधिकारी का या कोई कॉमिक किरदार मिलता है। फ़िल्म का स्ट्रांग मैसेज यह है कि माँ बाप को बच्चे पर नजर रखनी चाहिए।
गोपाल चंद्र अग्रवाल संपादक आल राइट्स मैगज़ीन
मुंबई से अनिल बेदाग की रिपोर्ट