मथुरा : बड़े ठेकेदारों पर मेहरबान मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण के अधिकारी, चहेतों को काम दिलाने में प्राइवेट कन्सल्टेंट की शर्तें होती है मंजूर,
मथुरा : बड़े ठेकेदारों पर मेहरबान मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण के अधिकारी, चहेतों को काम दिलाने में प्राइवेट कन्सल्टेंट की शर्तें होती है मंजूर,

केंद्र और राज्य सरकार की प्राथमिकता वाली योजना स्वच्छ भारत मिशन को भी भ्रष्टाचार में जकड़ लिया है.
ई-टेंडर का नहीं दिखा असर,सेटिंग-गेटिंग का खेल
ई-टेंडर व्यवस्था लागू करने के साथ ही कैबिनेट मंत्री और प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने माफिया राज और भ्रष्टाचार खत्म होने का दावा किया था. लेकिन ई-टेंडर लागू होने के 3 साल बीतने के बाद स्थितियां और बदतर हो गई हैं.
कितने कर्तव्यनिष्ठ है यहां के अफसर ।
मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण व तीर्थ विकास परिषद के चहेते ठेकेदार जिन्हें शीर्ष नेतृत्व भी खास जगह देता है और सेटिंग गेटिंग के साथ सरकारी माल को डकारने का खेल शुरू होता है
1.गोवर्धन परिक्रमा मार्ग वाला टेंडर पुंद्रिकाक्ष डेवलेपर गाजियाबाद 2.वृंदावन में लक्ष्मण शहीद स्मारक बाला जी आगरा की फर्म 3.मुक्ता काशी रंगामच की निविदा सुनील गर्ग गाजियाबाद को मिलने वाली है फाइनेंशियल बिड खुलने के बाद
उ०प्र० ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष रिटायर्ड वरिष्ठ आईपीएस अफसर जो कि ईमानदार ओर स्वच्छ छवि के है अधीनस्थ अधिकारी कैसे गुमराह कर रहे है और ठेकेदारों के साथ सांठगांठ कर अपने चहेते ठेकेदार को लाभ पहुंचाने में उनकी मदद कर रहे है अब इसमें कौन दोषी है जो टेंडर दिलवाने में ऊपर से नीचे तक फाइल अप्रूवल दिलवाने का जिम्मा लेता है ,हर बड़े ठेकेदार से फोन कर कहा जाता है कि आप उस टेंडर को डाल रहे है क्या अगर वहाँ से हाँ आती है तो बल्कि टेंडर में क्या भरना है फिर कमियां दूर करायी जाती है सूत्रों से बताया जाता है कि ए-क्लास के कॉन्ट्रैक्टर की अनिवार्य शर्त को भी खत्म कर दिया गया है
मथुरा :- प्रदेश में सरकार बदलने का असर सरकारी प्रक्रिया में देखने को नहीं मिल रहा है। अफसर अपने चहेते ठेकेदारों को काम देने के लिए मनचाही शर्तें लगाने और हटाने का खेल खेल रहे हैं। ताजा मामला मथुरा वृन्दावन विकास प्राधिकरण के ठेकेदार बने प्राइवेट कन्सलटेन्ट से जुड़ा हुआ है, इसमें प्राधिकरण व तीर्थ विकास परिषद के अफसरों से सांठगांठ कर अपने चहेते ठेकेदार को लाभ पहुंचाने में माहिर है प्राइवेट कन्सलटेन्ट इस कन्सलटेन्ट का जलवा इतना है कि अगर एमवीडीए के एक उच्च अधिकारी को अगर इन्होंने फोन कर दिया कि सर उस ठेकेदार के घर चलना है तो वो अधिकारी भी तत्काल चल देते है।
शीर्ष अधिकारी दोनो विभागों के मुखिया है
उन्हें नही दिखता क्या यह सीधे तौर पर घोटाला है
टेंडर में मनमानी शर्तें लगाना और सांठगांठ कर उसे हटाने का खेल प्राधिकरण के प्राइवेट कंसल्टेंट ओर अफसर खेल रहे हैं। यह भी सीधे तौर पर घोटाला है, जिसमें दोषी अफसरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के मंत्रियों को इस कड़वे सच से रू-ब-रू होना पड़ा कि कई कोशिशों के बावजूद जमीनी स्तर पर भ्रष्टाचार पर प्रभावी नकेल नहीं कसी जा सकी है. यही वजह है कि भाजपा के नेता अपनी ही सरकार के कामकाज पर उंगली उठा रहे हैं
क्रमश: अभी और भी राज खुलने बाकी।
मथुरा से आकाश चतुर्वेदी की रिपोर्ट