शराब कारोबारी का ₹35 Cr एक्साइज़ चोरी रैकेट

🥃 ₹35 करोड़ की एक्साइज चोरी: शराब कारोबारी मनोज जायसवाल का गिरोह बेनकाब; ED जांच की आशंका

टपरी डिस्टलरी में धांधली, अवैध शराब का जखीरा बरामद; मनी लॉन्ड्रिंग और जीएसटी चोरी का मामला

बरेली: उत्तर प्रदेश में शराब कारोबारी मनोज जायसवाल का एक बड़ा गिरोह पुलिस की जांच में बेनकाब हुआ है। यह गिरोह न केवल अवैध शराब के निर्माण और बिक्री में, बल्कि मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering), एक्साइज और जीएसटी (GST) चोरी जैसे गंभीर अपराधों में भी लिप्त पाया गया है।

पुलिस जांच में पता चला है कि इस गिरोह ने सिर्फ 11 महीनों के भीतर ₹35 करोड़ से अधिक की एक्साइज (Excise) चोरी की है, जिसमें जीएसटी और मनी लॉन्ड्रिंग को शामिल करने पर सरकारी राजस्व को हुआ कुल नुकसान कई गुना बढ़ सकता है।

⚙️ डिस्टलरी में हेराफेरी और फर्जीवाड़ा

गिरोह ने अपने अवैध कारोबार को छिपाने के लिए कई शातिर तरीके अपनाए:

  • तकनीकी छेड़छाड़: गिरोह ने टपरी डिस्टलरी के जीपीएस (GPS) और सीसीटीवी (CCTV) सिस्टम में जानबूझकर छेड़छाड़ की।

  • फर्जी अभिलेख: अवैध गतिविधियों को वैध दिखाने के लिए कई फर्जी अभिलेख (Fake Documents) भी तैयार किए गए थे।

  • अवैध निर्माण: जांच में स्पष्ट हुआ है कि यह गिरोह कई वर्षों से देशी शराब का अवैध निर्माण कर रहा था।

🚨 2021 में पकड़ा गया अवैध स्टॉक

इस गिरोह का पर्दाफाश तब हुआ जब मार्च 2021 में टपरी डिस्टलरी से निकली देशी शराब की दो गाड़ियां निकलीं।

  • पकड़: SOG टीम ने बारादरी थाना क्षेत्र में ग्रीन पार्क (जहाँ मनोज जायसवाल का आवास भी है) के पास कागजात रहित दूसरी गाड़ी को पकड़ लिया।

  • खुलासा: ट्रक चालक संजय ने पूछताछ में कबूल किया कि यह शराब मनोज जायसवाल की है और इसे कानपुर से लाया जा रहा है।

  • अवैध माल: ट्रक से 1415 पेटियां बरामद हुईं, जिन पर स्पष्ट रूप से “उत्तर प्रदेश में बिक्री के लिए नहीं” (Not for Sale in Uttar Pradesh) लिखा था।

  • मैन्यूफैक्चरिंग: शराब की मैन्यूफैक्चरिंग टपरी डिस्टलरी की निकली, जिससे यह साफ हो गया कि यह बड़ी मात्रा में अवैध शराब बरेली में खपाने के लिए लाई गई थी, जिसकी आशंका डाउन-टाउन बार में खपाने की थी।

🔎 मनी लॉन्ड्रिंग के चलते ED जांच की आशंका

यह मामला चूंकि एक्साइज चोरी, जीएसटी चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर वित्तीय अपराधों से जुड़ा है, इसलिए आशंका जताई जा रही है कि जल्द ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी इस पूरे प्रकरण की जांच अपने हाथ में ले सकता है।

ED की एंट्री से इस गिरोह के अवैध लेनदेन और संपत्तियों की और भी परतें खुलकर सामने आ सकती हैं।


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