पिंजरे में कैद हुआ दो साल से आतंक का पर्याय बना तेंदुआ

*सामाजिक वानिकी की कड़ी मेहनत से हाथ चढ़ा तेंदुआ*
पीलीभीत।आतंक का पर्याय बना तेंदुआ पिंजरे में आने के बाद क्षेत्रीय ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। बीते दो सालों से तेंदुआ लगातार ग्रामीणों के पालतू कुत्तों व बकरियों को अपना शिकार बना रहा था। किसान भी खेतों पर जाने से कतराते थे। तेंदुए के डर से शाम ढलते ही क्षेत्रीय ग्रामीण अपने घरों में दुबक जाते थे।सामाजिक वानिकी रेंज की आमरिया तहसील क्षेत्र के गांवों में पिछले दो साल से एक तेंदुआ सक्रिय था। तेंदुआ एक के बाद एक फार्मरों के महंगे पालतू कुत्तों को अपना शिकार बना रहा था। एक के बाद एक हो रही घटनाओं से फार्मरों में सामाजिक वानिकी विभाग के अधिकारियों के खिलाफ काफी आक्रोश देखा जा रहा था।लेकिन टाइगर की रखवाली कर रहे किसानों ने किसी तरह की कोई शिकायत विभाग से नहीं कि 2020 शुरू होते ही इस तेंदुए ने किसानों के सामने जाकर उनके पालतू पशुओं को मारना शुरू कर दिया था।जिसके बाद किसानों ने  वन विभाग से नाराजगी जाते हुए इस तेंदुए को पकड़ने की मांग शुरू कर दी थी। लगातार घटनाओं के बाद कई बार वन विभाग और क्षेत्र के किसान आमने-सामने आ गए थे। यहां तक की किसानों ने विभाग के ऊपर लापरवाही के आरोप लगाते हुए उनको खेतों में जाने को भी मना कर दिया था। जिसके बाद पीलीभीत टाइगर रिजर्व के पूर्व फील्ड डायरेक्टर श्री एच राजा मोहन ने किसानों के साथ एक बैठक का आयोजन किया और किसानों की समस्या सुनते हुए तत्काल डीएफओ सामाजिक वानिकी श्री संजीव कुमार और एसडीओ हेमंत कुमार सेठ को पिंजरे बढ़ाने के आदेश देते हुए जल्द से जल्द तेंदुए को पकड़ने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद सामाजिक वानिकी के डीएफओ से लेकर वाचर और टाइगर ट्रैकर एक ही काम में जुट गए। दो दिन पूर्व अधिकारियों के माध्यम से यह सूचना मिली कि जल्द से जल्द इस तेंदुए को  बेहोश कर पकड़ा जाएगा। लेकिन इतनी नौबत नहीं आ पाई। तेंदुए की भूख ने उसे पिंजरे में फंसा दिया।आमरिया क्षेत्र के पैरी फार्म पर रखे गए पिंजरे में रविवार सुबह तेंदुआ फस गया। दरअसल दस दिन पूर्व पैरी सिंह ने अपनी मर्जी से चिन्हित किए हुए जगहों पर पिंजरे लगवाए थे। जिसमें वह तेंदुआ फस गया। पिछले दस माह से इस तेंदुए ने वन विभाग सामाजिक वानिकी को नाक से चने चबा दिए थे।पकड़े गए तेंदुए को मेडिकल उपचार के बाद उच्च अधिकारी के आदेशानुसार छोड़ा जाएगा।
लखनऊ से ब्यूरो चीफ राघवेंद्र सिंह की रिपोर्ट !

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