क्या आप जानती हैं एबोर्शन के साइड इफेक्ट
आम तौर पर महिलाओं का अनुभव बताता है कि गर्भपात कराने को लेकर जितना वे उम्मीद कर रही थीं, उससे कहीं ज्यादा उन्हें इस प्रक्रिया से झेलना पड़ा। गर्भपात कराने के बाद संभव है कि किसी को भी अनपेक्षित भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक साइड इफेक्ट्स का अनुभव हो।
हालांकि अक्सर देखा गया है कि कुछ महिलाएं कुछ खास प्रकार के भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक जद्दोजहद की चपेट में जल्दी आ जाती हैं। जिन महिलाओं पर नकारात्मक भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक साइड इफेक्ट पड़ने की संभावना अधिक रहती है. उन महिलाओं की उपरोक्त व्यक्तिगत समस्याओं पर गौर करें जिन्हें एक या अधिक साइड इफेक्ट्स का अनुभव हुआ हो। अपनी समस्या के बारे में किसी ऐसे करीबी को बताएं जो आपके नजरिये में आपका सहयोग कर सके और आपको समझ सके।
तनाव से बचेंः ऐसे लोगों से बचें जो आप पर इस तरह का दबाव बना रहे हों कि वे जो सोचते हैं, वही सबसे अच्छा है। आप चाहे मां बनना चाहें, बच्चे गोद लेना चाहें या गर्भपात कराना चाहें, आप अपनी पसंद के साथ जीने के लिए स्वतंत्र हैं। यानी कोई भी फैसला 100 प्रतिशत आपका ही होना चाहिए।
दूसरों से चर्चा करेंः किसी ऐसी महिला से मिलें जो अनियोजित गर्भधारण से गुजर चुकी हों या गर्भपात करा चुकी हों, ताकि पता चल सके कि कैसा अनुभव होता है।
गर्भपात के बाद महिलाओं में अलग-अलग शारीरिक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। गर्भपात के बाद संभावित विस्तृत साइड इफेक्ट्स के बारे में किसी अनुभवी हेल्थ प्रोफेशनल और डाॅक्टर से जानकारी पाना जरूरी है। यह भी जरूरी है कि गर्भपात के 4-6 हफ्ते बाद आपकी मासिक क्रिया सुचारू हो जाए और गर्भपात कराने के बाद आप दोबारा मां बनने लायक हो जाएं। संक्रमण से बचने के लिए अपने डाॅक्टर के परामर्श के मुताबिक ही दवाइयों का सेवन करना जरूरी है।
गर्भपात कराने के बाद निम्नलिखित शारीरिक साइड इफेक्ट्स उभर सकते हैं। इन साइड इफेक्ट्स का अनुभव दो से चार हफ्तों तक बना रह सकता है।
पेट दर्द और मरोड़
दाग और रक्तस्राव
तकरीबन 5-10 प्रतिशत महिलाएं तत्काल किसी न किसी समस्या से ग्रस्त हो जाती हैं। निम्नलिखित खतरों से सतर्क रहना जरूरी हैः
अत्यंत या लगातार रक्तस्राव
संक्रमण या सेप्सिस/पीआईडी/एंडोमेट्रियोसिस
गर्भाशय को नुकसान
गर्भाशय वाले हिस्से पर दाग (एशरमैन्स सिंड्रोम)
अन्य अंगों में नुकसान
गर्भाशय में छेद
एंडोटाॅक्सिक आघात और मृत्यु