Jammu and Kashmir : CJI ने J&K में जवानों की शहादत को किया याद उनकी बदौलत हम क्रिसमस मना पा रहे हैं

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने क्रिसमस समारोह में जम्मू-कश्मीर के राजौरी में जवानों के बलिदान को याद किया. उन्होंने कहा कि हम उन लोगों की वजह अपने परिवार के संग खुशियां मना पा रहे हैं.

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली में क्रिसमस समारोह में कई बड़े ऐलान किए हैं. सीजेआई ने इस मौके पर पर सीमा पर देश की सुरक्षा के लिए अपनी कुर्बानी देने वाले वीर जवानों को याद किया.

डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अभी दो दिन पहले ही पुंछ राजौरी सेक्टर में हमारे वीर सैनिकों ने इतनी बर्फीली ठंड में हमारी सुरक्षा करते हुए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है. हमें अपने गीत उन डॉक्टरों और नर्सों के लिए भी गाने चाहिए जो गंभीर बीमार लोगों को स्वस्थ करने के लिए अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं. हम तो सौभाग्यशाली हैं जो उन लोगों की बदौलत अपने परिवार के साथ खुशियां मना पा रहे हैं.

स्कूल से सीखी देशभक्ति

चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि स्कूल के दिनों में भी हमने जो सबसे अहम चीज सीखी वो देशभक्ति की भावना है. स्कूल में दिनचर्या की शुरुआत ईश्वर के प्रति आभार के लिए प्रार्थना से हो होती थी. इसका असर जीवन पर भी पड़ा है. बचपन में तो मेरे घर में मराठी संस्कृति की छाप रही, फिर स्कूल में भी कई चीजों सीखीं.

वकीलों के लिए होगा लाइब्रेरी का निर्माण’

इस दौरान उन्होंने एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि कोर्ट के पास एक भूखंड सुप्रीम कोर्ट को अलॉट हुआ है. जिसमें वकीलों के लिए एक नई समृद्ध लाइब्रेरी बनाई जाएगी. जल्द ही इस इमारत के निर्माण के लिए शिलान्यास होगा. इसमें सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के लिए कंसल्टेशन चेंबर्स भी बनाए जाएंगे.

फरियादियों का भी रखना होगा ध्यान’

सीजेआई ने कहा कि हमें फरियादियों की भी जरूरतों का ध्यान रखना होगा. शादी-ब्याह, खुशी-गमी जैसी अपरिहार्य स्थितियों को तो समझा जा सकता है, लेकिन हाल ही में वकीलों ने मुकदमों की सुनवाई टालने के लिए चार हजार स्लिप भेजी हैं. ये ठीक नहीं है. हमें कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे बाहर संस्थान और हमारी हंसी उड़े. कोर्ट में हमारा काम भले जज और वकील वाला है, लेकिन हमारी भूमिका और जिम्मेदारी इससे कहीं ज्यादा है. संविधान हमारे लिए सब कुछ है.

सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस साल आप सभी के सहयोग से हमने 52 हजार मुकदमें निपटा लिए हैं और आने वाले साल का लक्ष्य इससे भी ज्यादा रहना चाहिए.

ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन

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