जल्द इलाज करने से गठिया पर काबू पाना संभव

बरेली। श्री राममूर्ति मेडिकल कालेज में चल रही तीन दिवसीय चिकित्सीय संगोष्ठी का रविवार को समापन हो गया। अन्तिम दिन चार सत्रों में देश-विदेश से आये वक्ताओं ने रियूमेटोलॉजी, स्टेन्डर्ड केयर, न्यूरोलॉजी, इन्फेक्शियस डिजीज आदि विषयों पर अपने-अपने महत्वपूर्ण व्याख्यान प्रस्तुत किये।
 केजीएमयू, लखनऊ से आये डा. अनुपम वाष्र्णेय ने गठिया रोग के विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि इस रोग का जल्दी निदान कर इसका उपचार शुरू कर देने से जोड़ों का टेड़ापन बच जाता है। लखनऊ से ही आये डा. सुभाष यादव ने आस्टियोपोरोसिस की बीमारी में डैक्ट्रा स्कैन की जरूरत को बताया और इसके इलाज की विभिन्न दवाओं के बारे में विस्तार से बताया।
मेरठ मेडिकल कालेज से आयी डा. आभा गुप्ता ने डायबिटीज और प्रेग्नेंसी विषय पर विस्तृत चर्चा की और बताया कि डायबिटीज के मरीजों में प्रेग्नेंसी होने पर इंसुलिन का इस्तेमाल सबसे अच्छी दवाई मानी जाती है जो मॉं और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों के काम्प्लीकेंशन्स को कम करती है।
बरेली शहर के विख्यात चिकित्सक, डा. एके चौहान ने गर्भावस्था में दिल के रोगों का इलाज करने में जो सावधानियां बरती जानी चाहिए के बारे में विस्तार से बताया साथ ही बीचयू, बनारस से आये डा० विनोद दीक्षित ने गर्भावस्था में पीलिया होने पर इलाज के तरीकों के बारे में बताया। उन्होंने गर्भावस्था में हिपेटाईटिस बी एवं सी होने पर इलाज की प्रक्रिया एवं मानकों के बारे में जानकारी दी।
 एसआरएमएस-आईएमएस के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा. शरत जौहरी ने वरटाईगो एवं सिर में दर्द के बारे में विस्तार से जानकारी दी। नोयडा से आये डा. कपिल सिंघल ने फालिज (स्ट्रोक) के मरीजों में मस्तिष्क की धमनी में खून के थक्के को घोलने की दवा के बारे में बताया। उन्होंने यह बताया कि बहुत से आम जनमानस को यह मालूम नहीं है कि 4.5 घंटे के अन्दर यह फालिज का मरीज अस्पताल में आ जाता है तो उसकी धमनी में जमे हुए खून को धोलकर उसके ब्रेेन डैमेज को बचाया जा सकता है। केजीएमयू लखनऊ से आये डा. डी हिमांशु ने एंटीबायोटिक के प्रयोग एवं दुष्प्रभाव के बारे में विस्तृत जानकारी दी। अलीगढè मुस्लिम विश्वविद्यालय से आये डा. शोयब जहीर ने बुखार एवं न्यूट्रोपीनिया के मरीजों के लक्षण, कारण एवं इलाज के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
 श्री राम मूर्ति स्मारक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज बरेली के मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ चिकित्सक डा. एमपी रावल ने इस अवसर पर जानकारी दी कि आज भी विश्व में एवं हमारे देश में हार्ट अटैक से मरने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक है। यद्यपि इस मृत्युदर मेंे पिछले कई वष्रों से रिस्क फैक्टर को नियंत्रित कर एवं इस रोग के इलाज के लिए देश के विभिन्न संस्थानों में आईसीसीयू पीसीआई यूनिट के स्थापित होने से इस मृत्युदर में कमी आई है। लेकिन पिछले 4-5 वष्रों से यह स्थिर हो गई है, जिसका मुख्य कारण ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता की कमी एवं मरीज के अस्पताल तक अधिक समय (9० मिनट) से पहंुुचने में उसकी मांसपोशियों को पीसीआई द्बारा बचाना संभव नहीं हो पाता है। श्री राम मूर्ति हास्पिटल में पिछले 1० वष्रों से डेडीकेटेड कैथलैब एवं पीसीआई सेन्टर संचालित है जो हार्ट अटैक के मरीजों का इलाज पीसीआई द्बारा कर उन्हें समय से जीवनदान प्रदान करता है। दूसरी तरफ संस्थान द्बारा बरेली जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल हास्पिटल द्बारा जनमानस को इस बीमारी के रिस्क फैक्टर एवं लक्षणों के बारे में जागरूक किया जा रहा है जिससे वह इस बीमारी के इलाज के लिए सही समय पर संस्थान में पहंंुच सके। सचमुच राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत इस संस्थान का बहुत ही बड़ा योगदान है।
 मेडिसिन विभाग के पीजी छात्रों द्बारा पीजी क्विज का भी आयोजन किया गया तथा प्रतिभागियों को पुरस्कृत भी किया गया।
काफेंस की मुख्य आयोजक सचिव डा. स्मिता गुप्ता ने बताया कि देश में ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था में उचित पोषण, खान-पान व सही इलाज एवं जांचों एवं डाक्टरी सलाह जैसी प्राथमिक सुुविधाएं भी उपलब्ध नहीं हैं, हालांकि इसमें पहले के मुकाबले कुछ सुधार जरूर हुआ है, जिसमें हमारा संस्थान श्री राम मूर्ति स्मारक इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, बरेली ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं व बच्चों के स्वास्थ्य हेतु नि:शुल्क स्वास्थ्य कार्यक्रमों एवं कैंपों का आयोजन कर रहा है तथा भविष्य में अधिक से अधिक लोगों को इसका लाभ मिले, इस दिशा में सत्त प्रयत्नशील है।
इन तीनों दिनों की काफेंस में देश-विदेश के लगभग 4०० से अधिक चिकित्सकों, जिसमें विशिष्ट वक्ताओं एवं पीजी छात्रों ने भाग लिया। तथा चिकित्सा जगत में हो रहे नित नवीन अनुसंधानों एवं शोधों की जानकारी एक-दूसरे से साझा की तथा विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर अपने-अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये।
 अन्त में काफ्रेंस का समापन पुरस्कार वितरण के साथ किया गया जिसमे विभिन्न सत्रों में आयोजित किये गये विषयों एवं पीजी छात्रों द्बारा पेपर एवं पोस्टर प्रस्तुति के लिए पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर अपने धन्यवाद भाषण में कांफ्रेंस की मुख्य आयोजक सचिव डा. स्मिता गुप्ता ने इस काफ्रेंस में आये हुए देश-विदेश के समस्त चिकित्सा विशेषज्ञों, वरिष्ठ चिकित्सकों, पीजी छात्रों का हृदय से आभार व्यक्त किया साथ ही कांफ्रेंस को सफल बनाने के लिए संस्थान के चेयरमैन देव मूर्ति, प्रशासनिक निदेशक आदित्य मूर्ति एवं प्राचार्य डा. आरसी पुरोहित, चिकित्सा अधीक्षक बिग्रेडियर डा. एसके हाण्डा के अलावा विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों, चिकित्सकों, पीजी छात्रों, संस्थान के समस्त प्रशासनिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों का भी आभार व्यक्त किया।

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