ISRO आज करेगा लॉन्च GSAT-6A सैटेलाइट, जानिए कैसे सेना के लिए होगा फायदेमंद
इंडियन स्पेस रिसर्च सेंटर ऑर्गनाइजेशन (इसरो) आज आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से GSAT-6A कम्युनिकेशन सैटेलाइट लॉन्च करेगा। आज शाम 4:56 मिनट पर इस सैटेलाइट को लॉन्च किया जाएगा। इस लॉन्च को न सिर्फ इसरो बल्कि देश की सेनाओं के लिए भी काफी अहम माना जा रहा है और इसकी सफल लॉन्चिंग इसरो के लिए एक और मील का पत्थर माना जाएगा। इस सैटेलाइट लॉन्च की गिनती बुधवार दोपहर से शुरू हो गई है। प्रक्षेपण यहां से करीब 110 किलोमीटर दूर श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केन्द्र से प्रक्षेपण किया जाएगा. इसरो ने कहा, बुधवार को ही लॉन्च होने वाले मिशन की उल्टी गिनती मिशन तैयारी समीक्षा समिति और प्रक्षेपण अधिकार बोर्ड से मंजूरी के बाद दिन में एक बजकर 56 मिनट पर शुरू हुई थी ।
सैटेलाइट की खासियतें
GSAT-6A का वजन 2,140 किलोग्राम है। इसमें प्रयोग हुआ रॉकेट 49.1 मीटर लंबा है और इसका वजन 415.6 टन है। लॉन्च होने के 17 मिनट बाद जीसैट-6ए कक्षा में पहुंच जाएगा। इस पूरे मिशन की कीमत 270 करोड़ रुपए है और यह मिशन 10 वर्षों के लिए है। इसरो की ओर से अब तक 95 स्पेसक्राफ्ट मिशन लॉन्च हो चुके हैं। इसरो ने जनवरी में ही अपना 100वां सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजा था और उस लॉन्च में भारत के इन 3 स्वदेशी उपग्रहों के अलावा कनाडा, फिनलैंड, फ्रांस, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन और अमेरिका के 28 सैटेलाइट भी लॉन्च किए गए थे।
इस प्रक्षेपण यान की 12वीं उड़ान
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र के दूसरे लॉन्च पैड से प्रस्तावित GSLV-F8 का प्रक्षेपण गुरुवार शाम चार बजकर 56 मिनट पर होगा. यह इस प्रक्षेपण यान की 12वीं उड़ान होगी. इसरो ने कहा कि उपग्रह की एक मुख्य बात मल्टी बीम कवरेज सुविधा के जरिये भारत को मोबाइल संचार प्रदान करना है.
सेना के कम्यूनिकेशन सर्विसेज में आएगा सुधार
GSAT-6A की लॉन्चिंग से सेनाओं को दी जाने वाली कम्यूनिकेशन सर्विसेज की गुणवत्ता में और सुधार होगा। कई खूबियों के बीच ही इस सैटेलाइट में प्रयुक्त हुआ छह मीटर लंबा छाते के आकार का एंटेना भी इसकी एक खूबी है। इसरो के मुताबिक यह एंटेना बाकी किसी भी एंटेना से तीन गुना ज्यादा बड़ा है और इसकी वजह से ही किसी भी जगह से मोबाइल कम्यूनिकेशन और आसान हो सकेगा। इसरो से जुड़े वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने बताया कि जीसैट-6ए बाकी कम्यूनिकेशन सैटेलाइट की तुलना में काफी अलग है। यह सैटेलाइट रक्षा के मकसद से काम करेगा और साधारण मकसद के लिए इसकी ट्रांसपोंडर क्षमता नहीं बढ़ाई जाएगी। आपको बता दें कि GSAT-6 ,27 अगस्त 2015 से ही कम्यूनिकेशन सर्विसेज दे रहा है।
GSLV-F 08 कक्षा में स्थापित किया जाएगा
अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, दस साल के जीवन काल वाले इस उपग्रह को भारतीय रॉकेट जियोसिनक्रोनस उपग्रह प्रक्षेपण यान (GSLV-F 08 ) द्वारा कक्षा में स्थापित किया जाएगा.
GSAT-6A के बाद एक नेविगेशन उपग्रह का प्रक्षेपण होगा
यह उपग्रह विकसित प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन के लिए एक मंच प्रदान करेगा, जिसमें 6 एम एस-बैंड अनफ्लेरेबल एटीना, हैंडहेल्ड ग्राउंड टर्मिनल व नेटवर्क प्रबंधन प्रौद्योगिकी शामिल हैं. ये उपग्रह आधारित मोबाइल संचार अनुप्रयोगों में उपयोगी हैं. इसरो के चेयरमैन के सिवन ने कहा कि GSAT-6A के बाद एक नेविगेशन उपग्रह का प्रक्षेपण किया जाएगा, जो अगले वित्तवर्ष में लॉन्च होगा.
चंद्रयान के लिए जरूरी विकास इंजन का टेस्ट
इसरो के सूत्रों की ओर से बताया गया है कि इस सैटेलाइट लॉन्च के साथ इसरो कई सिस्टम को भी टेस् करेगी जो देश के दूसरे चंद्रयान मिशन के लिए बहुत जरूरी होंगे। सूत्रों के मुताबिक इस सैटेलाइट लॉन् के साथ हाई थर्स्ट विकास इंजन को भी टेस्ट किया जाएगा। इस इंजन का प्रयोग चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग में होना है। इसे पहले से बेहतर इंजन माना जा रहा है जो दूसरे मिशन में लॉन्च व्हीकल को ताकत देगा। यह इंजन व्हीकल में 70 किलो भार का वजन सहने की क्षमता भी प्रदान करता है। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग को इस वर्ष अक्टूबर के लिए तय किया गया है।
800 करोड़ का है चंद्रयान-2
चंद्रयान-2 की कीमत 800 करोड़ रुपए है और इस मिशन से पहले विकास इंजन का सफल परीक्षण इसरो के वैज्ञानिकों की भी बड़ी परीक्षा है। इसरो के एलपीएससी यानी लिक्विड प्रोपोल्शन सिस्टम सेंटर के डायरेक्टर वी नारायण ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा है कि चंद्रयान मिशन के लिए इस तरह के पांच इंजन का प्रयोग होगा और इसकी वजह से वजन सहने की क्षमता 70 किलो से बढ़कर 250 किलोग्राम हो जाएगी।