पूरे परिवार को संभाला पर अपनी एकमात्र पुत्री के होने वाले विवाह को नहीं देख सकीं – निर्भय सक्सेना
जो भी इस दुनिया में ईश्वर से जितनी श्वास लेकर आया है उसे अपने निश्चित समय पर उसी लोक में वापस जाना ही होता है। मौत का कारण या बहाना कुछ भी हो सकता है पर यह एक शास्वत सत्य ही है जो सभी मानते भी हैं। परन्तु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनका संसार से जाना सभी को विचलित कर जाता है। ऐसी ही एक कर्मठ टीचर अब गृहणी श्रीमती मधुलिका सिन्हा, बेबी दी, का 27 अप्रैल 2021 को गाजियाबाद में अवसान सभी को दुखी कर गया। जो अपनी एक मात्र पुत्री अपर्णा सिन्हा के 14 मई 2021 को होने वाले विवाह से कुछ सप्ताह पूर्व ही दुनिया को अलविदा कह गईं।
श्रीमती मधुलिका सिन्हा ने बाल्यकाल से ही अपने नाना एवम चाचा के पास बाँदा में रहकर संघर्षरत जीवन व्यतीत करने के साथ ही संस्कृत से स्नातकोत्तर की शिक्षा को भी पूरा किया। उनके पिता एयरफोर्स में नोकरी के दौरान देश के विभिन्न राज्यों में तबादला होने के कारण अन्य छोटे बच्चों के साथ रहते थे। पिता शिव शंकर सिन्हा की 16 जून 1976 में एयरफोर्स की नोकरी के दौरान ही दिल्ली में मौत हो गई थी। उसके बाद मधुलिका सिन्हा ने दिल्ली आकर स्वयं गारमेंट एक्सपोर्ट फैक्ट्री में नोकरी कर जहां एक ओर परिवार को अपने पैरों पर खड़ा कर सभी भाई बहनों का विवाह आदि कराया । साथ ही गारमेंट एक्सपोर्ट फैक्ट्री में अपने भाई बहन की नोकरी भी दिलाई। परिवारजनों के कहने पर आखिर में ही अपना विवाह श्री बी बी सिन्हा से किया जिनकी एक ही बेटी अपर्णा सिन्हा भी दिल्ली के एक हॉस्पिटल के ऑफिस में आजकल कार्यरत है। जिसका अगले माह 14 मई 2021 में विवाह होना भी निश्चित हो चुका है।
स्वर्गीय शिव शंकर सिन्हा – श्रीमती सरोजनी सिन्हा के बाँदा स्थित घर में 8 अगस्त 1953 को जन्मी मधुलिका सिन्हा ने बाँदा में रहकरअपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद पिता के साथ बड़ौदा (गुजरात) नहीं जाकर अपने नाना — नानी श्री जय गोपाल श्रीवास्तव एवं श्रीमती कुंती देवी अध्यापक आर्य कन्या स्कूल बाँदा एवम राजकीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य रहे चाचा रमा शंकर सिन्हा के पास रहकर संस्कृत से एम ए किया। उसी के बाद जब पिता का दिल्ली तबादला हुआ। तो मधुलिका दिल्ली आ गई। कुछ दिन बाद ही उनके पिता शिव शंकर सिन्हा का 16 जून 1976 में निधन हो गया। सभी छोटे भाई बहनों को सहारा देने के लिए उन्होंने ‘मोडर्मा’ एवम ‘महारानी’ जैसी गारमेंट्स एक्सपोर्ट फैक्टरी में क्वालिटी चेकिंग के पद पर कई वर्ष कार्य कर अपने परिवार को संभाला। जबकि छोटे भाई बहन बाजार से ऑर्डर लाकर मशीन से स्वेटर बुनाई का कार्य करते रहे। साथ ही स्नातक की पढ़ाई भी पूरी की। एक भाई अजय सिन्हा ने जब पढ़ाई पूरी कर ली तो पिता के स्थान पर उन्हें इंडियन एयरफोर्स में ही नोकरी मिल गई। एक छोटी बहन मंजुलिका की सेंट्रल गवर्मेन्ट की मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स में कार्यरत युवक मदन देवगन से 19 मई 1983 को विवाह करवा दिया।
उनकी बेटी नेहा देवगन इंडिगो एयरलाइन्स में ‘एयर होस्टेस’ की नोकरी छोड़ने के बाद अब एक बड़ी कंपनी में उच्च पद पर दिल्ली में ही कार्यरत है और बैंक कर्मी पति मोहित वरन्दानी के साथ रहती है। इसके साथ ही अन्य छोटी बहन मधुरिमा एवम भाई पीयूष को भी मोडर्मा गारमेंट्स एक्सपोर्ट फैक्टरी में सर्विस दिलवा दी। समय के साथ साथ ही दोनों भाई अजय की मीना से (20 जून 1988), पीयूष सिन्हा की अनीता आनंद से (14 फरवरी 1993) एवम छोटी बहन मधुरिमा की निर्भय सक्सेना से (15 दिसंबर 1985) विवाह कराने में अपनी मां सरोजनी सिन्हा के साथ मिलकर पूर्ण जिम्मेदारी का निर्वहन किया। उसके बाद ही परिजनों के सहयोग से सबसे बड़ी बहन मधुलिका सिन्हा का विवाह बी बी सिन्हा से (12 नवम्बर 1992) में हो सका। परिवार को आर्थिक मदद के लिए विवाह के बाद उन्होंने गाजियाबाद में एक स्कूल में टीचर के रूप में बच्चों को पढ़ाना प्रारम्भ कर दिया साथ ही घर पर ट्यूशन भी देना शरू किया।
इसी दौरान उनकी मां सरोजनी सिन्हा का भी 31 मई 2001 को निधन हो गया था। कुछ वर्ष बाद उनके छोटे भाई पीयूष सिन्हा का गुरुग्राम के मेदांता मेडिसिटी में कई हृदय एवम वाल्व के कई ऑपरेशन के बाद फंगल वायरस से 31 मई 2014 में निधन हो गया जो उनके लिए एक बड़ा आघात था। समय के साथ साथ भाई बहनों के बच्चों के बड़े होने पर परिवार की मुखिया होने के नाते रुचिका सक्सेना- अमित, शेफाली – अभिषेक, इशिता- अभिषेक आदि उन सभी के भी विवाह में पूर्ण जिम्मेदारी निभाई। पर यह भी एक दुखद संयोग ही रहा कि अपनी एक ही संतान रूपी पुत्री अपर्णा सिन्हा के 14 मई 2021 को होने बाले विवाह से दो तीन सप्ताह पूर्व ही ‘मैक्स हॉस्पिटल’ दिल्ली में कई दिन इलाज के बाद जब घर स्वास्थ्य लाभ लेकर पहुँची उसके 3 दिन बाद ही 27 अप्रैल 2021 को श्रीमती मधुलिका सिन्हा का निधन हो गया था। दुखी परिवार ने कोविड -19 नियम का पालन कर सामाजिक संस्कार अस्थि विसर्जन आदि भी कर दिया। इस कोरोनाकाल में पति बी बी सिन्हा को पत्नी के असमय जाने के साथ ही पुत्री के विवाह में भी हो चुकी विवाह स्थल, केटरिंग आदि की बुकिंग का भी दोहरा झटका लगने से उनका भी अब हौसला पस्त हो गया। कहते हैं समय बलबान होता है वही सब अपने अनुसार ईश्वर की मर्जी से ठीक भी करता है पर जाने बाले कभी लौटते नहीं है। उनकी केवल यादें ही शेष रह जाती हैं। निर्भय सक्सेना पत्रकार बरेली मोबाइल 9411005249
बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !