लखनऊ मोहनलालगंज संचार क्रांति से गुम हो गए गाँवो की गलियों से गांव में खेले जाने वाले खेल

लखनऊ मोहनलालगंज संचार क्रांति से गुम हो गए गाँवो की गलियों से गांव में खेले जाने वाले खेल
मोबाइल व इंटरनेट की दुनियां में उलझ गए बच्चे
जाने कहा गए वो मेरे  बचपन दिन
मोहनलालगंज लखनऊ इस दौर में इंटरनेट व मोबाइल के आगे गाँव मे खेले जाने वाले खेल गुम होते ज रहे है अक्सर बच्चे मोबाइल व इंटरनेट की दुनिया मे इतना उलझ चुके है कि वह गाँव के खेलो को भूलते ज रहे है करीब डेढ़ दशक पहले गांव में बच्चे लट्टू नचाना सीकरी खेलना रस्सी कूद सेर पाकी चोर सिपाही मेंढक दौड़  गुल्ली डंडा कनचा खेलना खो खो गेंदबाजी अनतापछरि  आदि जैसे खेल खेले जाते थे उसमे एक खेल  सटकना भी हुआ करता था जो पेड़ो पर चड़कर ही खेल खेला जाता था लेकिन आजकल वह खेल गांव की गलियों से ओझल हो चुके है पहले बच्चे गांव की गलियों व मोहल्लों मे बच्चे नाचते एक टांग उठाकर लगड़ी बनकर सिकड़ी का खेल खेलते थे जमीन पर गोंटिया बिछाकर गेंद तारी पेड़ व अन्य उचे स्थान से कूद कर सैरपाकि जैसे खेल खेलते थे गुल्ली डंडा खेल का मजा ही कुछ और था गांव में लड़कियां ज्यादातर अपना प्रिय खेल खो खो।और  रस्सी कूद का खेल  खेलती थी
न जाने कहा गए वो दिन
अब वह खेल शायद ही किसी गाँव मे खेले जाते हो आज कल की नई पीढ़ी मोबाइल इंटरनेट की दुनिया मे खो चुकी है बच्चे सुबह से ही उसी दुनिया मे मस्त रहते है  आज कल के बच्चे मोबाइल कंप्यूटर लेपटॉप में गेम खेलते नजर आते है थोड़ा समझदार हुए  तो व्हाट्सएप फेसबुक के चक्कर मे मानो  खो ही जाते है इसके आगे मानो  सारे खेल बेकार है  गाव के बुजुर्गों का मानना है कि गांव में खेले जाने वाले खेलों से बच्चे फिट चुस्त दुरुस्त तंदुरुस्त व स्वास्थ्य रहते थे  स्कूल की पढ़ाई  के दौरान चाहे उन पर जितना  भी दबाव पड़ जाए  लेकिन घर आने के बाद उन पर उपरोक्त खेलो में  मजबूर होकर सारी टेंसन भूल जाया करते थे लेकिन आजकल पढ़ाई में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण  इंटरनेट के आगे सब भूल गए आप बच्चों को इन खेलों के लिये इतना समय भी नही मिल पाता हैं अगर समय मिला तो बच्चे ज्यादातर बैट बॉल खेलने वाला मोबाइल व टीवी  गेम तथा कार्टून देखने मे समय बिताने के साथ  मनोरंजन कर लेते है पतंग बाजी तो बस त्योहार तक सीमित रह गयी है आजकल बच्चों के माता पिता भी उपरोक्त खेलो से परहेज करते है लोगों का यह भी मानना है कि कम्प्यूटर मोबाइल व इंटरनेट के इस्तेमाल से बच्चों का मानसिक ज्ञान तो बढ़ता है लेकिन सारीरिक विकास पर असर पड़ता है बदलते माहौल के साथ बच्चों के खेल भी बदल चुके है आजकल के बच्चों के  लिए मोबाइल व कंप्यूटर लोगों की जरूरत के साथ मनोरंजन का साधन भी बन चुका है इस जरूरत और मनोरंजन के साधन के बीच गांव में खेले जाने वाले खेल जाने कहा  गुम सा हो गये है
राघवेन्द्र सिंह आल राईट न्यूज़ लखनऊ

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