बुराड़ी कांड : भूत के चक्कर में बने भूत, क्या ग्यारहवे दिन फिर आएंगी आत्मायें ?

बुराड़ी इलाके के संत नगर में भाटिया परिवार के 11 लोगों की मौत के मामले की जांच जैसे जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे वैसे इस रहस्यमयी घटना की एक-एक बात सामने आ रही है। यह घटना 30 जून (शनिवार) की रात की थी और अगले दिन रविवार की सुबह 11 लोगों के शव मकान में फंदे से झुलते हुए मिले थे। इस घटना के पीछे भले ही मोक्ष प्राप्ति के लिए विशेष क्रिया किए जाने की बात कही जा रही है और इस सामूहिक खुदकशी के लिए ललित को सूत्रधार माना जा रहा है। इस बीच इन 11 मौतों को लेकर एक और बात सामने आई है।

मृतकों में सात महिलाएं व चार पुरुष थे, जिनमें दो नाबालिग थे। एक महिला का शव रोशनदान से तो नौ लोगों के शव छत से लगी लोहे की ग्रिल से चुन्नी व साड़ियों से लटके मिले। एक बुजुर्ग महिला का शव जमीन पर पड़ा मिला था। नौ लोगों के हाथ-पैर व मुंह बंधे हुए थे और आंखों पर रुई रखकर पट्टी बांधी गई थी।

इसमें वह दो बेटों भुवनेश व ललित, उनकी पत्नियों, पोते-पोतियों व विधवा बेटी संग रहती थीं। ये लोग मूलरूप से राजस्थान के निवासी थे और 22 साल पहले यहां आकर बसे थे। बुजुर्ग महिला के तीसरे बेटे दिनेश सिविल कांटेक्टर हैं और राजस्थान के चित्ताैड़गढ़ में रहते हैं। बुजुर्ग महिला के दोनों बेटों की भूतल पर एक परचून व दूसरी प्लाईवुड की दुकान है। ऊपर पहली व दूसरी मंजिल पर परिवार रहता था.

 

कुलमिलाकर पुलिस के एंगल से मानें तो अब तक यह तय नहीं हुआ है कि परिवार के 11 सदस्यों ने आत्महत्या की है या फिर उनकी हत्या हुई है। 11 सदस्यों की मौत में पुलिस ने बुजुर्ग महिला की मौत में अज्ञात शख्स के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया है, जबकि बाकी की 10 मौत कैसे हुई? इसे लेकर रहस्य बना हुआ है।

इसकी वजह है घर से बरामद डायरी में लिखी गई बातें। डायरी में लिखा है कि 11 दिन बाद वे फिर लौटेंगे। भाटिया परिवार के बड़े बेटे दिनेश ने घर में भूत-प्रेत की बात को सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है कि यह लोगों की कल्पना की उपज है। वह इसी घर में रहेंगे। पुलिस की थ्योरी के अनुसार, इस घटना को सामूहिक आत्महत्या माना जा रहा है, लेकिन दिनेश का आज भी मानना है कि परिवार के सदस्यों की हत्या की गई है।

FIR का नंबर भी ११

11 मौतों के मामले में यह महज इत्तेफाक है कि जब दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया तो एफआइआर नंबर 308 मिला, जिसका (3+0+8= 11) जोड़ 11 होता है। वहीं, पुलिस इसे कोई तवज्जो नहीं दे रही है। उसका कहना है कि यह सिर्फ इत्तेफाक है।

11 मौतों वाले मकान का जोड़ भी 11 अंक

21वीं सदी में अंकों को शायद ही कोई मानता हो, लेकिन यहां पर अंक कुछ कहते हैं। मसलन, बुराड़ी फांसीकांड जिस घर में हुआ उस घर का नंबर 137 है। अब इसका कुल योग (1+3+7= 11) 11 होता है।

11 रजिस्टर भी बरामद हुए

इस मामले की एक-एक कड़ी उन रजिस्टरों से मिल रही है जिसमें फांसी लगाने के तरीके और इससे जुड़ी हर क्रिया का विस्तार से जिक्र है। गौर करने वाली बात है कि घर से निकलने वाले 11 पाइपों और 11 एंगल वाले रोशदानों के साथ 11 रजिस्टर भी बरामद हुए हैं, जिनमें 10 साल पहले मरे पिता की आत्मा से संवाद की हर बातचीत दर्ज है। इसी ने इस हंसते खेलते परिवार को फांसी के फंदे पर ढकेला।

कुल 11 रजिस्टर में लिखी बातों के मुताबिक, पिछले 11 साल से ललित के पिता उसके सपने में आ रहे थे। वह 2007 से यानी 11 साल से अपने पिता की आवाज में परिवार के सदस्यों के सामने बात करता था। परिवार के 11 सदस्यों के अलावा किसी को यह बात पता नहीं थी। मोक्ष के इस अनुष्ठान को लेकर घर में पूजा सात दिन से चल रही थी।

क्या 11 दिन फिर आएंगी आत्मायें .? 

पुलिस को बरामद रजिस्टर के एक पेज पर 9 जुलाई 2015 को लिखा गया था, ‘अपने सुधार में गति बढ़ा दो. यह भी तुम्हारा धन्यवाद करता हूं कि तुम भटक जाते हो पर फिर एक दूसरे की बात मानकर एक छत के नीचे मेल मिलाप कर लेते हो. 5 आत्माएं अभी मेरे साथ भटक रही हैं. यदि तुम अपने में सुधार करोगे तो उन्हें भी गति मिलेगी. इससे सबका फायदा होगा’

आगे लिखा है, ‘तुम तो सोचते होंगे कि हरिद्वार जाकर सब कुछ कर आएं तो गति मिल जाएगी. जैसे मैं इस चीज़ के लिए भटक रहा हूं ऐसे ही सज्जन सिंह, हीरा, दयानंद और गंगा देवी मेरे सहयोगी बने हुए हैं. ये भी यही चाहते हैं कि तुम सब सही कर्म करके अपना जीवन सफल बनाओ. यदि हमारे नियमित काम पूरे हो जाएंगे तो हम अपने वास को लौट जाएंगे.’

 

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