रविवार का व्रत समस्त कामनाओं को पूर्ण करता है
रविवार का व्रत आत्मविश्वास मे वृ्द्धि करने के लिये भी किया जाता है। नौ ग्रहों के लिये अलग- अलग वारों का निर्धारण किया गया है। रविवार का व्रत समस्त कामनाओं की सिद्धि, नेत्र रोगों में, कुष्ठादि व चर्म रोगों में कमी, आयु व सौभाग्य वृ्द्धि के लिये किया जाता है।यह व्रत अच्छा स्वास्थय व तेजस्विता देता है। शास्त्रों में ग्रहों की शान्ति करने के लिये व्रत के अतिरिक्त पूजन, दान- स्नान व मंत्र जाप आदि कार्य किये जाते हैं. रविवार का व्रत करने व कथा सुनने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। मान-सम्मान, धन-यश तथा उत्तम स्वास्थ्य मिलता है।सूर्य भगवान की पूजा में उन्हें फूल अर्पित तो करते ही हैं अच्छा होगा कि उन्हें लाल फूल चढ़ायें ये बहुत फायदेमंद साबित होता है। आप सूर्य को अर्ध्य देते समय मिट्टी और बांस के पात्र का प्रयोग करते हैं तो इसमें कोई दोष नहीं है परंतु इसकी अपेक्षा सूर्य देव को ताम्र पात्र से अर्ध्य देंगे तो वे अतीव प्रसन्न हो जायेंगे और सौ गुणा अधिक फल देंगे। भविष्य पुराण के अनुसार जो व्यक्ति सूर्य देव को तालपत्र का पंखा समर्पित करता है वह दस हजार वर्ष तक सूर्य लोक में रहने का अधिकारी बन जाता है।सूर्य देव को लाल रंग इतना भाता है कि जब कोई उन पर कमल का फूल और पलाश के पत्तों का अर्पण करता है तो उन्हें अत्यंत आनंद होता है। रविवार व्रत सूर्य देव की कृपा प्राप्ति हेतु किया जाता है। सूर्य प्रकाश, आरोग्य तथा अरिष्टों का निवारण भी करते हैं। नवग्रह शांति विधान में भी केवल सूर्योपासना से सभी ग्रह की शांति हो जाती है, क्योंकि ये नवग्रहों के राजा हैं। इस हेतु माह वैशाख, मार्गशीर्ष- और माघ श्रेष्ठ हैं। उक्त में से किसी भी माह के प्रथम रविवार (शुक्ल पक्ष) से इस व्रत को संकल्प लेकर प्रारंभ करना चाहिए। यह व्रत एक वर्ष अथवा १२ या ३० रविवार तक करे ।