ED ने बिहार DIG की ₹1.52 Cr संपत्ति जब्त की
🔒 बड़ी खबर: आय से अधिक संपत्ति मामले में DIG रैंक के अधिकारी की ₹1.52 करोड़ की संपत्ति जब्त
मुख्य बातें (Key Focus: ED पटना, PMLA, DIG, शिवेंद्र प्रियदर्शी, भ्रष्ट आचरण)
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एक्शन: प्रवर्तन निदेशालय (ED), पटना जोनल ऑफिस ने बिहार के तत्कालीन DIG (जेल) शिवेंद्र प्रियदर्शी की ₹1.52 करोड़ की संपत्ति अटैच (कुर्क) की।
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कुर्की: पटना में दो फ्लैट, बैंक बैलेंस, सोना-चांदी के आभूषण, एफडी, केवीपी, एनएससी और म्यूचुअल फंड में निवेश शामिल।
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कानून: यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई।
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मूल मामला: विशेष निगरानी इकाई (Special Vigilance Unit), पटना द्वारा IPC और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत FIR और चार्जशीट दायर की गई थी।
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अपराध की आय: अधिकारी पर ₹1,52,47,491/- की आय से अधिक संपत्ति जमा करने का आरोप है।
🚨 भ्रष्ट आचरण का मामला: DIG (जेल) शिवेंद्र प्रियदर्शी की अवैध संपत्ति जब्त
प्रवर्तन निदेशालय (ED), पटना जोनल ऑफिस ने बिहार सरकार के तत्कालीन DIG, जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं, शिवेंद्र प्रियदर्शी के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। PMLA, 2002 के तहत कार्रवाई करते हुए, ED ने प्रियदर्शी और उनकी पत्नी के नाम पर अर्जित ₹1.52 करोड़ (लगभग) की चल और अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है।
जब्त की गई संपत्तियां:
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अचल संपत्ति: पटना में दो फ्लैट।
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चल संपत्ति: बैंक बैलेंस, सोना-चांदी के आभूषण, फिक्स्ड डिपॉजिट (FDs), किसान विकास पत्र (KVPs), राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र (NSCs), और म्यूचुअल फंड में निवेश।
📅 1993 से 2017 तक भ्रष्टाचार का खेल
ED ने यह जांच विशेष निगरानी इकाई, पटना द्वारा दर्ज की गई FIR (04.05.2017) और चार्जशीट (12.07.2023) के आधार पर शुरू की थी।
ED की जांच में खुलासा हुआ कि शिवेंद्र प्रियदर्शी, जो बिहार सरकार में विभिन्न स्थानों (सासाराम, बेनिपुर, गोपालगंज, सीवान और पटना) पर तैनात रहे, ने 14.06.1993 से 04.05.2017 की अवधि के दौरान भ्रष्ट आचरण में लिप्त होकर भारी मात्रा में ‘अपराध की आय’ (Proceeds of Crime – POC) उत्पन्न की।
🎁 रिश्तेदारों की मदद से काले धन को सफेद करने की कोशिश
जांच में यह भी सामने आया कि प्रियदर्शी ने POC के कुछ हिस्सों को सीधे अपने परिवार के सदस्यों के बैंक खातों में जमा कराया। इसके अलावा, उन्होंने अपने रिश्तेदारों की मदद से पैसे की लेयरिंग (Layering) की और इसे उपहार (Gifts) के रूप में प्राप्त किया, ताकि इस काले धन को ‘बेदाग’ संपत्ति के रूप में पेश किया जा सके।
यह अवैध धन (POC) का उपयोग अपनी और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर अचल संपत्तियां (फ्लैट) और चल संपत्तियां (बैंक निवेश, FD, KVP, NSC, म्यूचुअल फंड) बनाने में किया गया था। यह संपत्ति उनके वैध आय स्रोतों से ₹1,52,47,491/- अधिक पाई गई।
मामले में आगे की जांच जारी है।
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