ED ने साइबर फ्रॉड रैकेट पर PC फाइल की
🚨 ED का साइबर फ्रॉड पर बड़ा एक्शन: ₹104 करोड़ की ठगी में 5 आरोपी गिरफ्तार, ‘डिजिटल अरेस्ट’ और क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा रैकेट!
सूरत/अहमदाबाद: ED ने PMLA के तहत दाखिल की चार्जशीट
सूरत: प्रवर्तन निदेशालय (Directorate of Enforcement – ED) की सूरत सब-ज़ोनल ऑफिस ने देश भर के भोले-भाले लोगों को साइबर फ्रॉड के जरिए ठगने के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। 27 नवंबर 2025 को, ED ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत अहमदाबाद की विशेष अदालत में पाँच आरोपियों के खिलाफ अभियोजन शिकायत (Prosecution Complaint) दाखिल की है।
इस हाई-प्रोफाइल मामले में आरोपियों ने मिलकर ₹104.15 करोड़ की ‘अपराध आय’ (Proceeds of Crime – POC) अर्जित की, जिसमें से अधिकांश राशि देश भर के पीड़ितों से ठगी गई थी।
कौन हैं आरोपी?
ED ने जिन पाँच आरोपियों के खिलाफ PMLA कोर्ट में शिकायत दर्ज की है, वे हैं:
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मकबूल अब्दुल रहमान डॉक्टर (Makbul Abdul Rehman Doctor)
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काशिफ मकबूल डॉक्टर (Kaashif Makbul Doctor)
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महेश मफतलाल देसाई (Mahesh Mafatlal Desai)
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ओम राजेंद्र पंड्या (Om Rajendra Pandya)
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मितेश गोकुलभाई ठक्कर (Mitesh Gokulbhai Thakkar)
ED ने यह जांच सूरत पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप द्वारा मकबूल डॉक्टर, उनके बेटों और अन्य के खिलाफ दर्ज मामले के आधार पर शुरू की थी।
⚙️ ‘डिजिटल अरेस्ट’ से लेकर फेक नोटिस तक: ठगी का चौंकाने वाला तरीका (Modus Operandi)
आरोपी मकबूल डॉक्टर, उनके बेटे काशिफ, फरार चल रहे बसम मकबूल डॉक्टर, और अन्य साथियों ने ठगी के लिए कई शातिर तरीके अपनाए:
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1. ‘डिजिटल अरेस्ट’ (Digital Arrest): आरोपी एक फर्जी पुलिस स्टेशन का सेटअप बनाते थे। वर्दी पहने नकली पुलिसकर्मी पीड़ितों को वीडियो कॉल करते थे और उन्हें ‘डिजिटल अरेस्ट’ की धमकी देते थे।
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2. फेक नोटिस: वे ED, TRAI, CBI, और यहां तक कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के फर्जी नोटिस भेजकर पीड़ितों को डराते थे।
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3. फर्जी चालान: पैसे ऐंठने के बाद, पीड़ित द्वारा जमा की गई ‘फीस/जुर्माने’ की रसीद के तौर पर नकली चालान भी जारी किए जाते थे।
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4. फॉरेक्स ट्रेडिंग/स्टॉक मार्केट टिप्स: निवेशकों को लुभाने के लिए फर्जी ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट टिप्स भी दिए जाते थे।
💰 पैसे को छिपाने का तरीका: हवाला, सिम कार्ड और KYC-मुक्त क्रिप्टो
ठगी के पैसों को ठिकाने लगाने के लिए आरोपियों ने मनी लॉन्ड्रिंग का एक जटिल जाल बिछाया:
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लेयरिंग (Layering): पहले पैसे को अपने जानने वालों/रिश्तेदारों के KYC पर खोले गए बैंक खातों में जमा किया गया। फिर विभिन्न बैंक खातों के जरिए इसे ‘लेयरिंग’ किया गया।
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गोपनीयता के लिए सिम कार्ड: पूरे वित्तीय लेन-देन को संचालित करने के लिए, आरोपियों ने धोखाधड़ी से प्री-एक्टिवेटेड सिम कार्ड प्राप्त किए और उन्हें बैंक खातों से जोड़ा।
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क्रिप्टो और हवाला का उपयोग: पता लगने से बचने के लिए, अधिकांश पैसा नकद में निकाला गया। फिर इसे हवाला ऑपरेटरों के जरिए क्रिप्टोकरेंसी (USDT) में बदला गया।
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फरार आरोपी और क्रिप्टो वॉलेट: इस POC को छिपाने के लिए KYC-मुक्त क्रिप्टो वॉलेट का उपयोग किया गया। मुख्य आरोपी बसम डॉक्टर, जो वर्तमान में अरब देशों में फरार है, पर शक है कि वह इन क्रिप्टो वॉलेट के माध्यम से अंतिम प्राप्तकर्ता है।
⚖️ ED की कार्रवाई: गिरफ्तारी और संपत्ति कुर्की
जांच के दौरान, ED ने अक्टूबर 2025 में चार आरोपियों – मकबूल डॉक्टर, काशिफ डॉक्टर, महेश देसाई और ओम पंड्या को गिरफ्तार किया था।
इसके अलावा, ED ने 17 नवंबर 2025 को आरोपियों की ₹2.13 करोड़ की तीन अचल संपत्तियों को भी अस्थाई रूप से कुर्क (Provisionally Attached) किया है।
बैंक खातों के विश्लेषण से यह भी पता चला है कि आरोपी अपनी आलीशान जीवनशैली पर ई-कॉमर्स और ऑनलाइन लेनदेन के माध्यम से करोड़ों रुपये खर्च कर रहे थे।
आगे की जांच जारी है।
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