ED: बैंक को ₹169.47 करोड़ की संपत्ति की वसूली
🚨 ED की बड़ी कामयाबी: ₹169.47 करोड़ की संपत्ति सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को वापस; PMLA के तहत हुआ बड़ा ‘रेस्टीट्यूशन’
डायरेक्टरेट ऑफ एनफोर्समेंट (ED), कोलकाता ज़ोनल ऑफिस ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत चल रही एक महत्वपूर्ण जांच में बड़ी सफलता हासिल की है। ED ने मेसर्स प्रकाश वाणिज्य प्राइवेट लिमिटेड (M/s Prakash Vanijya Private Limited) से जुड़ी ₹169.47 करोड़ की कुर्की (attached) संपत्तियों को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) को वापस दिलवाया है।
यह कार्रवाई बैंक धोखाधड़ी मामले में पब्लिक सेक्टर बैंक फंड्स की वसूली सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम है।
🏛️ क्या है पूरा मामला और कैसे हुई संपत्ति की कुर्की?
मेसर्स प्रकाश वाणिज्य प्राइवेट लिमिटेड और उसके प्रमोटर-डायरेक्टर मनोज कुमार जैन पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को ₹234.57 करोड़ का चूना लगाने का आरोप है।
ED की जांच में यह खुलासा हुआ कि कंपनी ने फर्जी दस्तावेजों (forged documentation) और बढ़ी-चढ़ी वित्तीय रिपोर्टों (inflated financial statements) के आधार पर क्रेडिट सुविधाएँ हासिल कीं और फिर अवैध तरीके से ऋण राशि को डायवर्ट कर दिया।
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मूल धोखाधड़ी राशि: ₹234.57 करोड़
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ED द्वारा कुर्क की गई संपत्ति: ED ने PMLA के प्रावधानों के तहत पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में स्थित ₹199.67 करोड़ की संपत्ति को चार प्रोविज़नल अटैचमेंट ऑर्डर्स (Provisional Attachment Orders) के ज़रिए कुर्क किया था, जिसे बाद में एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी (Adjudicating Authority) ने पुष्टि कर दी।
🔄 ‘रेस्टीट्यूशन’ प्रक्रिया और कोर्ट का फैसला
सार्वजनिक हित की रक्षा और बैंक फंड्स की त्वरित वसूली के लिए ED ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई बैठकें कीं।
इसके बाद, बैंक ने कुर्क की गई संपत्तियों की वापसी (Restitution of Attached Properties) के लिए आवेदन दायर किया। ED ने भी इस आवेदन का समर्थन करते हुए ‘सहमति याचिका’ (consent petition) दायर की, जिससे न्यायिक प्रक्रिया आगे बढ़ी।
28.11.2025 को, माननीय मुख्य न्यायाधीश, सिटी सेशंस कोर्ट, कलकत्ता ने संपत्तियों को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को वापस करने की अनुमति दे दी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बैंक क़ानूनी तौर पर अपने बकाए की वसूली का हकदार है।
कोर्ट का महत्वपूर्ण नोट: कोर्ट ने कहा कि ED को इस प्रार्थना पर कोई आपत्ति नहीं है, बशर्ते बैंक अपने बकाए की पूर्ति कर ले और यदि कोई सरप्लस (अधिक राशि) बचती है, तो उसे PMLA के तहत न्यायनिर्णयन (adjudication) के लिए सक्षम प्राधिकारी के पास जमा करे।
💰 वसूली गई राशि का वर्तमान मूल्य
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया द्वारा किए गए नवीनतम मूल्यांकन (latest valuation report) के अनुसार, इन संपत्तियों का मौजूदा वसूली योग्य मूल्य (current realizable value) ₹169.47 करोड़ है। यह आंकड़ा बाज़ार-आधारित पुनर्मूल्यांकन (market-linked reassessment) को दर्शाता है जो रेस्टीट्यूशन प्रक्रिया के दौरान किया गया।
ED का संदेश: यह ‘रेस्टीट्यूशन’ वित्तीय धोखाधड़ी से प्राप्त आय को सही दावेदारों (rightful claimants) को वापस करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह कार्रवाई जटिल वित्तीय धोखाधड़ी नेटवर्क को तोड़ने और बैंकिंग प्रणाली की अखंडता (integrity) को बहाल करने की ED की प्रतिबद्धता को मजबूत करती है।
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