धारा 144 से रुक गया महाराष्ट्र

पूरा राज्य धारा 144 में है और सड़क, रेल, डब्बा टिफिन जैसी सेवाएं ठप्प पड़ी हैं।
राजमार्ग प्रभावित हैं और लोग भी हिरासत में लिए जा रहे हैं। नए साल का आगाज ऐसा तो नहीं होना चाहिए था।
बहरहाल पुणे के कोरेगांव भीमा इलाके में भड़की जातीय हिंसा के विरोध में बुधवार को महाराष्ट्र बंद का व्यापक असर देखने को मिल रहा है। ठाणे रेलवे स्टेशन में आंदोलनकारियों ने ट्रेन रोककर प्रदर्शन किया। महाराष्ट्र बंद से भागती-दौड़ती मुंबई की रफ्तार भी थम गई है।
महाराष्ट्र के ठाणे में 4 जनवरी आधी रात तक के लिए धारा-144 लगा दी गई है। पुणे से बारामती और सतारा तक बस सेवा भी अगले आदेश तक के लिए रोक दी गई है।
बहुत कम ऐसा होता है जब मुम्बई में डब्बा वाले थमते हैं लेकिन इस बार यह भी हो गया।
प्रदर्शनकारियों के आक्रामक रुख को देखते हुए मुंबई के घाटकोपर के रमाबाई कॉलोनी और ईस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे में सुरक्षा बल तैनात किया गया है।
महाराष्ट्र बंद से जनजीवन भी प्रभावित हो रहा है। सड़कों पर वाहन कम होने से लोगों को काम पर जाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
यह मामला तब शुरू हुआ था जब सोमवार को पुणे कोरेगांव भीमा इलाके में मराठा और दलितों के बीच एक कार्यक्रम के दौरान हिंसक झड़प हो गई। भीमा-कोरेगांव युद्ध के शौर्य दिवस के आयोजन को लेकर हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई। जातीय हिंसा की यह आग मंगलवार को मुंबई सहित महाराष्ट्र के 18 जिलों में फैल गई। मुंबई, पुणे, औरंगाबाद, अहमदनगर, हड़पसर और फुरसुंगी में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए। मुंबई में पथराव और रेल रोको, रास्ता रोको के कारण जहां सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ। मुलुंड, कुर्ला, चेंबूर और मानखुर्द में दलित बस्तियों वाले इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित रहे।
हिंसा की वजह से मुंबई के पूर्व द्रुतगति महामार्ग पर यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ। नवी मुंबई पुलिस ने मुंबई की तरफ जाने वाली सभी बसों और ट्रकों को कई घंटे के लिए रोक दिया। पुलिस ने लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की।
महाराष्ट्र में पुणे, अहमदनगर, कोल्हापुर, लातूर, नांदेड, औरंगाबाद, परभणी में भी बसों को जलाने और तोड़फोड़ के मामले सामने आए। राज्य में एसटी की 167 बसों को और मुंबई में बेस्ट की 20 बसों को नुकसान हुआ। भीड़ ने पूरे राज्य में जगह-जगह दुकानों को बंद करवाया गया। कुछ दुकानदारों में स्वेच्छा से भी दुकानें बंद रखीं। हालांकि शिक्षा मंत्री विनोद तावडे ने स्कूलों को छुट्टी देने से इनकार कर दिया है।
कुल मिलाकर जिस साल की शुरुआत हर्षोल्लास से होनी चाहिए वो मातम और हिंसा से हुई है।