‘सर तन से जुदा’ नारे पर कोर्ट सख्त

Bareilly News: ‘सर तन से जुदा’ का नारा देने वालों पर हाईकोर्ट का हंटर! तौकीर रजा के गुर्गे की जमानत याचिका खारिज; कोर्ट ने की ऐतिहासिक टिप्पणी

बरेली/प्रयागराज | ब्यूरो रिपोर्ट (रोहिताश कुमार): इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरेली में भड़की सांप्रदायिक हिंसा और धार्मिक उन्माद फैलाने के मामले में एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जो देशभर के लिए नजीर बन गया है। कोर्ट ने इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (IMC) प्रमुख मौलाना तौकीर रजा के करीबी नदीम की जमानत याचिका को ‘दो टूक’ खारिज करते हुए सख्त संदेश दिया है कि भारतीय संविधान और कानून से ऊपर कोई नहीं है।

“सर तन से जुदा” नारा: संविधान और संप्रभुता पर हमला

जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि ‘गुस्ताख-ए-नबी की एक सजा, सर तन से जुदा’ जैसे नारे न केवल आपराधिक हैं, बल्कि ये भारतीय संविधान, विधि-व्यवस्था और देश की अखंडता पर सीधा प्रहार हैं। कोर्ट ने साफ लहजे में कहा कि भारत के कानून में ‘सिर कलम’ करने जैसी किसी सजा का कोई स्थान नहीं है।

पाकिस्तानी ईशनिंदा कानून से तुलना: कोर्ट की सख्त टिप्पणी

अदालत ने इस तरह के नारों के इतिहास पर रोशनी डालते हुए कहा कि यह भारत की परंपरा नहीं, बल्कि पाकिस्तान के जिया-उल-हक दौर के ईशनिंदा कानून (Blasphemy Law) की उपज है। कोर्ट ने एशिया बीबी केस का हवाला देते हुए कहा कि धार्मिक उन्माद का यह ‘आयात’ भारतीय समाज के लिए घातक है।

क्या हुआ था 26 सितंबर को? (घटनाक्रम)

  • धारा 163 का उल्लंघन: बरेली के बिहारीपुर में पाबंदी के बावजूद 5000 से अधिक लोगों की भीड़ जुटाई गई।

  • हिंसक प्रदर्शन: भीड़ ने न केवल भड़काऊ नारे लगाए, बल्कि पुलिस पर पेट्रोल बम, पत्थरबाजी और फायरिंग भी की।

  • पुलिस पर हमला: प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों की वर्दी फाड़ी और उनकी लाठियां छीन लीं। इस हिंसा में कई जवान घायल हुए और सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा।

  • मुख्य आरोपी: मामले में मौलाना तौकीर रजा और नदीम खान को मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है।

इस्लाम की मूल शिक्षाओं का हवाला

हाईकोर्ट ने पैगंबर मोहम्मद साहब के जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा दया और सहनशीलता का मार्ग दिखाया है। ‘सर तन से जुदा’ जैसा आह्वान इस्लाम की मूल रूह (आत्मा) के खिलाफ है। अदालत ने स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की आजादी) किसी को भी हिंसा फैलाने या मौत का फरमान जारी करने का अधिकार नहीं देता।

बरेली प्रशासन की पीठ थपथपाई

जमानत नामंजूर करते हुए कोर्ट ने बरेली पुलिस और प्रशासन की मुस्तैदी की जमकर तारीफ की। अदालत ने माना कि ADG रमित शर्मा, DIG अजय कुमार साहनी, DM अविनाश सिंह और SSP अनुराग आर्य की टीम ने समय पर निर्णायक कार्रवाई कर शहर को बड़ी आग में झुलसने से बचा लिया।

बरेली से रोहिताश कुमार की रिपोर्ट

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