गरीब पिता के लिए दांव पर लगाया बचपन, 8 साल से फुटपाथ पर जिंदगी गुजार रहे हैं.

गरीबी के बोझ तले दब गया मासूम का बच्चपन कचरे में तलाश रहा हैं अपना जीवन।।
हरदोई बीमार पिता के साथ खुले आसमान के नीचे रहता मासूम,12 वर्षीय मासूम किताबों की जगह उठा रह कचरे का थैला,शिक्षा की जगह कूड़े कचरे में तलास रहा भविष्य
शहर के गंदे नाले में लोगों द्वारा फेके जाने वाले कूड़े कचरे के ढेर से पन्नी बोतल प्लास्टिक आदि  सामग्री एकत्रित कर कवाड़ में बेंचकर लाता हैं और ऐसे अपना और अपने असहाय बीमार पिता नरेन्द्र त्रिवेदी का पेट भरता हैं,पिता पुत्र फुटपाथ पर गरीबी से जंग लड़ रहे हैं, जिसे रोड पर हर आने जाने वाला व्यक्ति देख कर मुह फेर लेता हैं,असहाय नरेन्द्र बिलग्राम क्षेत्र के सदरपुर के निवासी हैं वही लगभग 8 वर्ष पूर्व इनकी पत्नी का बीमारी के चलते निधन हो गया था,बीमारी में कर्ज देने वाले व्यक्ति ने इनका मकान अपने नाम करवा लिया तब से ये दोनों पिता पुत्र फुटपाथ पर खुले आसमान के नीचे जीवन व्यतीत करने पर मजबूर हैं,इस समय पिता पुत्र श्रीश चंद्र अग्रवाल बारात घर के गेट पर दुखों भरा जीवन गुजार रहे है। सरकारी योजनाओं का भी नही मिला लाभ सामाजिक संगठनों ने भी इनसे अपना मुह मोड़ लिया,बड़ी बड़ी बाते करने वाले शोसल मीडिया पर हीरोगिरी दिखाने वाले समाज सेवियों की सेवा की हकीकत को उजागर कर रही हैं,इंशान खो रहा इंशानियत।।
मासूम बच्चे का कहना है कि मेरे बाप के पास कोई काम नहीं है और वो बीमार रहते हैं,इसलिए वह गरीबी का बोझ ढो रहा है और कचरे में अपना जीवन तलास कर रहा हैं
लखनऊ से राघवेंद्र सिंह की रिपोर्ट !

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