संसद में ‘समोसे’ पर संग्राम , समोसा बना राष्ट्रीय मुद्दा

संसद देश की सबसे बड़ी नीति और कानून बनाने वाली जगह है  जिसको लोकतंत्र का मंदिर भी कहा जाता है लेकिन वहां आजकल समोसा, चाउमीन, पनीर इन सब पर चर्चा हो रही है . महंगाई, बेरोजगारों , शिक्षा , इलाज़ इन सब से कोई लेना देना नहीं है .

बुधवार को लोकसभा में योगी के लाडले गोरखपुर से बीजेपी सांसद रवि किशन ने समोसे के साइज को लेकर एक सवाल उठा दिया, जिसने सभी को चौंका दिया. इस मुद्दे को लेकर रवि किशन का तर्क कुछ और था. लेकिन सोशल मीडिया पर ट्रोल आर्मी तुरंत एक्टिव हो गई. लोगों ने मीम्स और कमेंट्स की बौछार कर दी. किसी ने कहा ‘अब चटनी की बात भी कर लो’, तो किसी ने इसे संसदीय समय की बर्बादी बता दिया. सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है वीडियो रवि किशन ने समोसे के साइज का उठाया मुद्दा संसद में जब गंभीर मुद्दों पर चर्चा होती है. तब कुछ ऐसे पल भी सामने आ जाते हैं जो सोशल मीडिया पर हलचल मचा देते हैं. हाल ही में बीजेपी सांसद रवि किशन ने लोकसभा में समोसे के साइज और रेट को लेकर सवाल उठा दिया. उन्होंने कहा कि कहीं समोसा सस्ता और बड़ा मिलता है. तो कहीं वही छोटा और महंगा हो जाता है.

रवि किशन ने खाने-पीने की चीज़ों की कीमतों में अंतर को समझाने के लिए उदाहरण भी दिए.

उन्होंने कहा, “सड़क किनारे ढाबे पर एक समोसे की एक कीमत होती है और होटल में बिल्कुल अलग – यहां तक कि उसका समोसे का साइज भी अलग-अलग होता है. इसी तरह, दाल तड़का कहीं ₹100 में, कहीं ₹120 में और कुछ होटलों में ₹1,000 तक में मिलता है.” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई क्षेत्रों में सुधार लाए हैं, लेकिन खाद्य दुकानों में कीमतों को तय करने का सिस्टम अभी भी रेगुलेटेड नहीं है.रवि किशन ने मेनू में जानकारी की कमी पर भी चिंता जताई. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में, उन्होंने कहा कि मेनू में केवल व्यंजन (Dish) की कीमत का उल्लेख होता है, मात्रा का नहीं. उन्होंने तर्क दिया कि इससे ग्राहकों में भ्रम पैदा होता है और खाने की बर्बादी होती है. उन्होंने मांग की कि मेनू में प्रत्येक डिश की मात्रा और खाना पकाने में इस्तेमाल होने वाले तेल या घी का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए. उन्होंने कहा कि ग्राहकों को यह जानने का अधिकार है कि वे क्या खा रहे हैं और उसके लिए कितना भुगतान कर रहे हैं.

भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI)

देश में खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा को नियंत्रित करने वाली एजेंसी है. इसकी स्थापना अगस्त 2011 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन की गई थी. FSSAI का गठन खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 के तहत किया गया था. यह कानून विभिन्न खाद्य-संबंधी नियमों को एक ढांचे के अंतर्गत लाता है. यह पूरे भारत में खाद्य उत्पादन, वितरण, भंडारण, बिक्री और आयात के लिए मानक निर्धारित करता है. सभी खाद्य व्यवसायों के लिए FSSAI लाइसेंस या पंजीकरण हासिल करना आवश्यक है.

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