बरेली। लंबे समय से विवादों में घिरी रबड़ फैक्ट्री की जमीन को लेकर अब मामला सिविल कोर्ट की चौखट पर पहुंच गया है।
बरेली। लंबे समय से विवादों में घिरी रबड़ फैक्ट्री की जमीन को लेकर अब मामला सिविल कोर्ट की चौखट पर पहुंच गया है। जिला प्रशासन ने फैक्ट्री की 1300 एकड़ से अधिक भूमि पर कब्जा लेने के लिए सिविल कोर्ट में वाद दायर किया है।
इस प्रकरण में आज यानी 8 अक्टूबर को पहली सुनवाई तय की गई है। माना जा रहा है कि आज की सुनवाई में सभी संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए जा सकते हैं।
जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार ने 1960 के दशक में बरेली के परसाखेड़ा क्षेत्र में रबड़ फैक्ट्री की स्थापना के लिए करीब 1382.23 एकड़ भूमि लीज पर दी थी। उस समय यह फैक्ट्री उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास निगम (UPSIDC) के अधीन चलाई जा रही थी। कुछ वर्षों तक यहां बड़े पैमाने पर उत्पादन हुआ और हजारों लोगों को रोजगार मिला।
हालांकि, 15 जुलाई 1999 को फैक्ट्री का उत्पादन पूरी तरह बंद कर दिया गया, जिसके बाद से फैक्ट्री परिसर धीरे-धीरे जर्जर होता चला गया। उत्पादन बंद होने के साथ ही कर्मचारियों की बकाया वेतन और अन्य देनदारियों से जुड़े मामले अदालतों में लंबित हो गए। कई पूर्व कर्मचारियों ने इस संबंध में हाईकोर्ट और अन्य न्यायिक मंचों पर भी गुहार लगाई थी।
जमीन पर कब्जे का विवाद तब शुरू हुआ जब फैक्ट्री बंद होने के बाद भी भूमि पर कोई औद्योगिक गतिविधि नहीं चली। कई भूखंडों पर अवैध निर्माण और कब्जे की शिकायतें प्रशासन तक पहुंचीं।
जिला प्रशासन ने हाल ही में इस भूमि का सर्वे कराते हुए कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरू की। इसी क्रम में प्रशासन ने अब सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर किया है ताकि भूमि को सरकारी कब्जे में लिया जा सके।
सिविल जज (जूनियर डिवीजन) हवाली की अदालत में इस मामले की सुनवाई आज निर्धारित है। कोर्ट में पहली तारीख पर नोटिस जारी होने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, अदालत में प्रशासन की ओर से तहसीलदार, भूमि अधिकारी और राजस्व विभाग के अफसर पेश हो सकते हैं।
दूसरी ओर, रबड़ फैक्ट्री कर्मचारी यूनियन ने भी इस सुनवाई पर अपनी नजरें टिका रखी हैं। यूनियन का कहना है कि जब तक कर्मचारियों की बकाया देनदारी और सेवानिवृत्ति लाभों का निपटारा नहीं हो जाता, तब तक भूमि पर कब्जा या नीलामी की कोई प्रक्रिया उचित नहीं होगी। यूनियन के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन ने कर्मचारियों की उपेक्षा की तो आंदोलन किया जाएगा।
जिला प्रशासन का कहना है कि फैक्ट्री के बंद होने के बाद से भूमि का उपयोग नहीं हो रहा है और वह राजकीय संपत्ति के रूप में दर्ज है, इसलिए सरकार का उस पर पुनः अधिकार बनता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस विवादित भूमि को लेकर क्या रुख अपनाती है।
आज की सुनवाई से बरेली में चर्चित रबड़ फैक्ट्री प्रकरण में एक नई कानूनी शुरुआत मानी जा रही है, जिस पर न केवल प्रशासनिक अधिकारियों बल्कि सैकड़ों पूर्व कर्मचारियों की भी निगाहें टिकी हैं।
बरेली से रोहिताश कुमार की रिपोर्ट
