Bareilly News : वन मंत्री ने शहीदी दिवस के अवसर पर दो दिवसीय कार्यक्रम का किया उद्घाटन

संस्कृति विभाग द्वारा देश के क्रांतिकारी वीरों एवं शहीदों की याद में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हुआ आयोजन

प्रदेश के पर्यावरण, वन, जलवायु परिवर्तन एवं जंतु उद्यान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ अरुण कुमार सक्सेना ने आज शहीदी दिवस के अवसर पर संगीत नाटक अकैडमी गोमती नगर स्थित दो दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा की आज पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत अमृत काल मना रहा है,

आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान संस्कृति विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा देश के क्रांतिकारी वीरों एवं शहीदों के याद में अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया। आज का शहीदी दिवस कार्यक्रम भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद करने की उस कड़ी का एक हिस्सा है।

वन मंत्री ने कहा कि भारत के महान वीर भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि देने तथा उनके बलिदानों को याद करने के लिये भारत में 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है। भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना भारत के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है।

भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने 1928 में लाहौर में एक ब्रिटिश जूनियर पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी (लाहौर षड्यंत्र केस) । इसके लिए तीनों को फांसी की सजा सुनाई थी।

तीनों को 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल के भीतर ही फांसी दे दी गई। इस मामले में सुखदेव को भी दोषी माना गया था। सजा की तारीख 24 मार्च थी, लेकिन 1 दिन पहले ही फांसी दे गई थी।

श्री सक्सेना ने कहा कि आजादी के लिये ब्रिटिश शासन से भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर ने लोहा लिया था। सिक्ख परिवार में पंजाब के लायलपुर में 28 सितंबर 1907 को जन्में भगत सिंह भारतीय इतिहास के महान स्वतंत्रता सेनानियों में जाने जाते थे।

इनके पिता गदर पार्टी के नाम से प्रसिद्ध एक संगठन के सदस्य थे जो भारत की आजादी के लिये काम करती थी। भगत सिंह ने अपने साथियों राजगुरु, आजाद, सुखदेव, और जय गोपाल के साथ मिलकर लाला लाजपत राय पर लाठी चार्ज के खिलाफ लड़ाई की थी।

शहीद भगत सिंह का साहसिक कार्य आज के युवाओं के लिये एक प्रेरणास्रोत का कार्य कर रहा है। भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना भारत के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है।

उन्होंने कहा कि वैसे तो देश की आजादी की लड़ाई में कई स्वतंत्रता सेनानी हुए, लेकिन इनमें तीन ऐसे क्रांतिकारी थे जिनके विचार और व्यक्तित्व आज भी युवाओं को प्रेरणा देते हैं।

आज महान देशभक्त शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की कुर्बानी को याद करने का दिन है 23 मार्च ही वो दिन था जब ये तीनों हंसते-हंसते देश के लिए फांसी के फंदे पर झूल गए।

उन्होंने कहा कि आज जिस तरह उत्तर प्रदेश अपनी संस्कृति को समृद्ध करने के लिए प्रतिबद्ध है, वो दूसरे राज्यों के लिए भी मिसाल है। चाहे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर हो या फिर अयोध्या को नव्य और भव्य बनाने की योजना।

उत्तर प्रदेश सरकार तन मन से इस काम में जुटी है। मथुरा-वृंदावन को भी नया रुप देने की तैयारी है। इतना ही नहीं आजादी के इस अमृतकाल में जिस तरह प्रदेश के बलिदानियों की यादों को भी सहेजा जा रहा है, वो आने वाली पीढ़ी के लिए प्रकाशपुंज का काम करेगा।

गोपाल चंद्र अग्रवाल संपादक आल राइट्स मैगज़ीन

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