बरेली: अल्ट्रासाउंड में 2, पैदा हुआ 1

Bareilly Medical Mystery: दो धड़कनें, दो बच्चे और एक गायब! बरेली महिला अस्पताल की अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट ने सरकारी सिस्टम को कटघरे में खड़ा किया

बरेली | ब्यूरो रिपोर्ट: उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित जिला महिला अस्पताल से एक ऐसा सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसने स्वास्थ्य विभाग की विश्वसनीयता पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। अल्ट्रासाउंड की दो अलग-अलग रिपोर्ट में ‘जुड़वा बच्चे’ (Twins) बताए गए, लेकिन डिलीवरी के बाद अस्पताल स्टाफ ने परिवार को सिर्फ एक नवजात बेटी सौंपी। पीड़ित पिता का आरोप है कि महज 15 मिनट के खेल में उसका दूसरा बच्चा गायब कर दिया गया।

15 मिनट की वो मिस्ट्री: अस्पताल की लेबर रूम में क्या हुआ?

भुता के जिगरेना निवासी सुरेश बाबू के अनुसार, 8 दिसंबर को जब उनकी पत्नी राजेश्वरी देवी को प्रसव पीड़ा हुई, तो उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। सुरेश का आरोप है कि प्रसव कक्ष में मौजूद स्टाफ ने पहले दो शिशुओं के होने की बात कही। जब स्टाफ ने बच्चे के कपड़े मांगे, तो सुरेश नीचे गाड़ी से कपड़े लेने गए। 15-20 मिनट बाद जब वह वापस लौटे, तो उनकी गोद में केवल एक बेटी थमा दी गई।

सरकारी और निजी, दोनों रिपोर्ट में थे जुड़वा बच्चे

इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब पीड़ित ने मेडिकल रिपोर्ट्स पेश कीं।

  • जिला अस्पताल की रिपोर्ट: 14 नवंबर को सीनियर रेडियोलॉजिस्ट डॉ. सीपी सिंह ने रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा था कि गर्भ में जुड़वा बच्चे हैं। एक शिशु की धड़कन 126 और दूसरे की 151 प्रति मिनट दर्ज की गई थी।

  • निजी अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट: 3 दिसंबर को एक निजी सेंटर पर भी जुड़वा बच्चों की पुष्टि हुई थी, जहां ‘जुड़वा’ होने के कारण सुरेश से 600 के बजाय 1200 रुपये वसूले गए थे।

“साहब, जब रिपोर्ट में दो धड़कनें थीं, तो मेरा दूसरा बच्चा कहां गया?” > — जांच टीम के सामने सुबकते हुए पीड़ित पिता सुरेश बाबू का सवाल।

DM के आदेश पर 24 घंटे में जांच, सीएमओ की टीम सक्रिय

मामले की गंभीरता को देखते हुए डीएम अविनाश सिंह ने CMO डॉ. विश्राम सिंह को 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने का सख्त निर्देश दिया है। गुरुवार को डॉ. पुष्पलता के नेतृत्व में गठित जांच टीम ने पीड़ित परिवार के सिलसिलेवार बयान दर्ज किए।

शुक्रवार को होंगे बड़े खुलासे: रेडियोलॉजिस्ट और आशा कार्यकर्ता तलब

अस्पताल प्रशासन अब इस बात की जांच कर रहा है कि क्या अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में कोई तकनीकी खराबी थी या वास्तव में बच्चा गायब हुआ है।

  • शुक्रवार को बयान: डॉ. सीपी सिंह (रेडियोलॉजिस्ट) और आशा कार्यकर्ता गुड्डी देवी को बयान के लिए तलब किया गया है।

  • स्टाफ से पूछताछ: डॉक्टर सीमा सिंह और नर्स अनीता पाल से भी लंबी पूछताछ की गई है।

सिस्टम पर सवाल: लापरवाही या बड़ी साजिश?

यह मामला केवल एक परिवार का नहीं है, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की पारदर्शिता पर एक गहरा दाग है। अगर अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट गलत थी, तो रेडियोलॉजिस्ट की योग्यता पर सवाल उठते हैं, और अगर रिपोर्ट सही थी, तो बच्चा गायब होने की थ्योरी किसी बड़े रैकेट की ओर इशारा करती है।


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