प्रदूषण पर प्रहार: 12200 चालान कटे

Pollution Free Delhi: प्रदूषण के खिलाफ दिल्ली सरकार का ‘महा-प्लान’, 2026 तक सड़कों पर दौड़ेंगी 7000+ इलेक्ट्रिक बसें

नई दिल्ली: दिल्ली में गहराते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए परिवहन मंत्री डॉ. पंकज कुमार सिंह ने सरकार के बहुआयामी रोडमैप का खुलासा किया है। सचिवालय में आयोजित एक प्रेसवार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि सरकार सार्वजनिक परिवहन को पूरी तरह ‘ग्रीन’ बनाने और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।

EV मोबिलिटी पर जोर: बसों का बदलेगा स्वरूप

परिवहन मंत्री ने जानकारी दी कि दिल्ली के कुल प्रदूषण में परिवहन की हिस्सेदारी करीब 20-25 प्रतिशत है। इसे कम करने के लिए इलेक्ट्रिक बसों (E-Buses) के बेड़े को युद्ध स्तर पर बढ़ाया जा रहा है:

  • वर्तमान स्थिति: दिल्ली परिवहन निगम (DTC) के बेड़े में अब तक 3,518 इलेक्ट्रिक बसें शामिल हो चुकी हैं।

  • आगामी लक्ष्य: मार्च 2026 तक इन बसों की संख्या 5,000 पार करने का लक्ष्य है।

  • विज़न 2026: नवंबर 2026 तक दिल्ली की सड़कों पर 7,000 से अधिक इलेक्ट्रिक बसें चलाने की योजना है।

नियम तोड़ने वालों पर ‘चालान स्ट्राइक’: 612 फैक्ट्रियां होंगी बंद

प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रवर्तन टीमों ने पिछले तीन दिनों में कड़ी कार्रवाई की है:

  • वाहनों पर कार्रवाई: नियमों के उल्लंघन पर कुल 12,200 चालान जारी किए गए।

  • GRAP-4 उल्लंघन: पाबंदियों को ताक पर रखने वाले 446 वाहनों के चालान हुए और 1,492 वाहनों को दिल्ली की सीमाओं से वापस भेज दिया गया।

  • इंडस्ट्रियल एक्शन: जांच के दौरान नियमों का पालन न करने वाली 612 औद्योगिक इकाइयों को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

  • PUCC जांच: सभी पेट्रोल पंपों पर अब 24 घंटे पीयूसीसी जांच सिस्टम लागू रहेगा।

हेल्थ सेक्टर में बड़े बदलाव: अस्पतालों के लिए विशेष निर्देश

प्रदूषण से होने वाली बीमारियों को देखते हुए स्वास्थ्य सेवाओं को भी अपग्रेड किया जा रही है:

  • नई मशीनें: सरकारी अस्पतालों में जल्द ही 12 MRI और 24 CT स्कैन मशीनें लगाई जाएंगी।

  • आरोग्य मंदिर: अगले 10 महीनों में दिल्ली में 238 नए आरोग्य मंदिर खोले जाएंगे।

  • मरीजों के लिए इंतजाम: सभी अस्पतालों को दवाओं का पर्याप्त स्टॉक रखने और विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।

  • आयुष्मान भारत: योजना के तहत अब तक इलाज के लिए 28 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि दी जा चुकी है।


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