राजनीति के साथ अटल जी ने साहित्य को भी जीवंत किया : डॉ पवन

बरेली। अखिल भारतीय साहित्य परिषद बृज प्रान्त बरेली के तत्वावधान में गंगाशील आयुर्वेदिक महाविद्यालय के सभागार में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के जयंती की पूर्व संध्या पर अटल बिहारी बाजपेई साहित्य सम्मान समारोह में वक्ताओं ने श्री अटल बिहारी जी की के सादा जीवन एवम हाजिर जबावी पर प्रकाश डाला।

समारोह में राष्ट्र धर्म प्रकाशन के प्रबंधक एवं व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ पवन पुत्र बादल मुख्य अतिथि के रुप में, साहित्यकार डॉ शिवमंगल सिंह, राज्य ललित कला अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ राजेंद्र सिंह पुंडीर एवं डॉ एन के गुप्ता विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे । समारोह की अध्यक्षता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग कार्यवाह सुरेश जी ने की। समारोह में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सदानंद प्रसाद गुप्त को ‘अटल बिहारी बाजपेई साहित्य सम्मान 2020’ से सम्मानित किया गया ।

डॉ सदानंद प्रसाद के समारोह में नहीं पहुंच पाने के कारण उनका सम्मान उनके प्रतिनिधि के रूप में डॉ शिव मंगल सिंह मंगल को प्रदान किया गया । ब्रज प्रांत के संरक्षक डॉ एन एल शर्मा, प्रांतीय अध्यक्ष साहित्य भूषण सुरेश बाबू मिश्रा’ प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ शशि वाला राठी, प्रांतीय संयुक्त मंत्री रोहित राकेश. कोषाध्यक्ष दीपांकर गुप्ता तथा अतिथियों ने डॉ शिव मंगल सिंह को उत्तरी, धनराशि का चेक, सम्मान पत्र एवं पट्टिका डाल कर सम्मानित किया। इससे पूर्व जिला उपाध्यक्ष उमेश गुप्ता ने सरस्वती वंदना एवं स्वागत गान प्रस्तुत कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। अतिथियों का स्वागत जिला मंत्री इंद्रदेव त्रिवेदी के द्वारा किया गया । डॉक्टर नितिन सेठी द्वारा संस्था के सूत्र वाक्य ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ पर प्रकाश डाला गया। प्रांतीय संरक्षक डॉ एन एल शर्मा की पुस्तक “सुंदरकांड में निहित जीवन प्रबंधक के सूत्र” का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया इस अवसर पर सुरेश बाबू मिश्रा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई को महान साहित्य को महान साहित्यकार बताते हुए उनके जीवन पर प्रकाश डाला। डॉ शिव मंगल सिंह ने भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेई को राजनीति और साहित्य का अद्भुत संगम बताया समारोह के मुख्य अतिथि आदरणीय पवन पुत्र बादल ने ने कहा कि साहित्य कभी मरता नहीं है उन्होंने अटल जी को महान साहित्यकार बताते हुए कहा वह ‘राष्ट्र धर्म’ पत्रिका के प्रथम संपादक थे।

उस समय ‘राष्ट्र धर्म’ के प्रथम अंक की 12 हजार प्रतियां प्रकाशित होना साहित्य के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि थी । उन्होंने कहा के अटल जी ने निरंतर संघर्ष द्वारा राजनीति और साहित्य में अपनी एक अलग पहचान बनाई उनके विचार और उनके कार्य के कारण वह सदैव जनमानस में अमर रहेंगे। उनकी हाजिर जबावी सभी को निरुत्तर कर देती थी । समारोह में डॉ नवल किशोर, डॉ राजेंद्र सिंह पुंडीर ने भी विचार व्यक्त किए। समारोह का संचालन प्रांतीय संयुक्त मंत्री रोहित राकेश ने किया। कार्यक्रम में आभार प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉ शशि वाला राठी ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में डॉ शरद कांत शर्मा, निर्भय सक्सेना, सुरेंद्र बीनू सिन्हा, विनोद कुमार, वी. अटल, रामपाल सिंह, डॉ रवि प्रकाश शर्मा, राजवाला धैर्य, रणधीर प्रसाद गौड़, डॉ हरि मोहन भारद्वाज, उमेश चंद्र गुप्ता आदि साहित्यकार व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

 

 

बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !

 

 

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