पीएम धन-धान्य कृषि योजना के तहत स्थानीय स्तर पर शुरू किये जायेंगे पशु स्वास्थ्य अभियान: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी

पूर्वोत्तर को मिली पहली पशुधन आईवीएफ प्रयोगशाला; आंध्र प्रदेश में एकीकृत डेयरी और पशु चारा संयंत्र का शिलान्यास

भारत के पशुधन और डेयरी क्षेत्र को बढ़ावा देते हुए 11 अक्टूबर, 2025 को नई दिल्ली में 947 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया और 219 करोड़ रुपये मूल्य की अतिरिक्त परियोजना की आधारशिला रखी गई। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई ये पहल कृषि और संबद्ध क्षेत्र के निवेश के एक बड़े पैकेज का हिस्सा हैं।

इन परियोजनाओं को दो प्रमुख कृषि योजनाओं-प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना (पीएम-डीडीकेवाई) और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन के शुभारंभ के साथ ही राष्ट्र को समर्पित किया गया। यह शुरुआत ग्रामीण आजीविका को मजबूत करने और कृषि-संबद्ध क्षेत्रों में भारत के आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को आगे बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (पीएम-डीडीकेवाई) के अंतर्गत ग्रामीण आजीविका को सुदृढ़ करने में पशुधन, मत्स्य पालन और संबद्ध गतिविधियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना हमारे पशुधन को ध्यान में रख कर शुरू की गई है। आप जानते ही हैं कि पशुओं को खुरपका-मुँहपका जैसी बीमारियों से बचाने के लिए 125 करोड़ से ज़्यादा टीके मुफ़्त लगाए जा चुके हैं। इससे पशु स्वस्थ हुए हैं और किसानों की चिंता भी कम हुई है।

प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के तहत, स्थानीय स्तर पर पशु स्वास्थ्य से जुड़े अभियान भी चलाए जाएँगे।” प्रधानमंत्री ने ग्रामीण समृद्धि के लिए विविधीकरण के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा, “जहाँ खेती संभव नहीं है, वहाँ पशुपालन और मत्स्य पालन को बढ़ावा देना होगा।

किसानों की आय बढ़ाने के लिए, हमारी सरकार उन्हें पारंपरिक खेती के आलावा अन्य विकल्प भी दे रही है। इसलिए, अतिरिक्त आय के लिए पशुपालन, मछली पालन और मधुमक्खी पालन पर ज़ोर दिया जा रहा है। इससे छोटे किसानों और भूमिहीन परिवारों को भी सशक्त बनाया जा रहा है।”

इस अवसर पर पूर्वोत्तर क्षेत्र की पहली आईवीएफ प्रयोगशाला का उद्घाटन भी किया गया, जिसे राष्ट्रीय गोकुल मिशन (आरजीएम) के तहत ₹28.93 करोड़ के निवेश से गुवाहाटी (असम) में स्थापित किया गया है। यह अत्याधुनिक सुविधा पूर्वोत्तर राज्यों में डेयरी विकास और नस्ल सुधार को एक बड़ा प्रोत्साहन देगी।

राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) के अंतर्गत, बड़े पैमाने की कई डेयरी अवसंरचना परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया गया। इनमें मेहसाणा मिल्क यूनियन परियोजना शामिल है, जिसमें ₹460 करोड़ की लागत से विकसित 120 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता वाला मिल्क पाउडर प्लांट और 3.5 लाख लीटर प्रतिदिन क्षमता वाला यूएचटी प्लांट शामिल है।

इसके आलावा कार्यक्रम के तहत  इंदौर मिल्क यूनियन द्वारा ₹76.50 करोड़ की लागत से स्थापित 30 टन प्रतिदिन क्षमता वाला मिल्क पाउडर प्लांट; भीलवाड़ा मिल्क यूनियन द्वारा ₹46.82 करोड़ की लागत से स्थापित 25,000 लीटर प्रतिदिन क्षमता वाला यूएचटी प्लांट; और नुस्तुलापुर, करीमनगर, तेलंगाना में ₹25.45 करोड़ की लागत से विकसित एक ग्रीनफील्ड डेयरी प्लांट भी शामिल है।

डेयरी नेटवर्क का विस्तार करते हुए, एनपीडीडी के तहत 219 करोड़ रुपये के कुल निवेश के साथ, आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के कुप्पम मंडल में एक एकीकृत डेयरी संयंत्र और 200 टीपीडी मवेशी चारा संयंत्र की आधारशिला रखी गई।

पशुपालन अवसंरचना विकास निधि (एएचआईडीएफ) के अंतर्गत, कई राज्यों में 303.81 करोड़ रुपये की 10 परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया, जिससे देश में चारा, दूध और पशु उत्पाद के प्रसंस्करण की क्षमता बढ़ेगी। प्रजनन सेवाओं की अंतिम छोर तक पहुँच को सुदृढ़ करने के लिए, राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के सभी जिलों से 2,000 नव प्रशिक्षित और दक्ष ‘मैत्री’ (ग्रामीण भारत में बहुउद्देशीय कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन) को प्रधानमंत्री द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इस कार्यक्रम में पूरे भारत में 38,000 से अधिक ‘मैत्री’ को शामिल किया गया, जो देश भर में कृत्रिम गर्भाधान कवरेज और पशुधन के आनुवंशिक उन्नयन में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

ये पहलें कृषि संबद्ध क्षेत्रों के एकीकृत और संवहनीय विकास के माध्यम से किसानों के लिए अवसर बढ़ाने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं, जिससे सभी के लिए आर्थिक सुरक्षा और पोषण संबंधी कल्याण सुनिश्चित होगा।

पशुपालन एवं डेयरी परियोजनाओं के शुभारंभ/शिलान्यास की विस्तृत जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

ब्यूरो चीफ, रिजुल अग्रवाल

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