बीते कुछ महीनों से हरी सब्जियों और प्याज की बढ़ती कीमत से आम लोगों की परेशानी बढ़ गई हैं. लोगों के लिए प्याज खरीदना बेहद मुश्किल हो गया है. इस बीच, सरकार के एक फैसले की वजह से हरी मटर की कीमत भी आपकी जेब का बोझ बढ़ा सकती है.
दरअसल, बीते साल दिसंबर में सरकार ने मटर के आयात को सीमित कर दिया है. वहीं घरेलू उत्पादन भी मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है. ऐसे में इस बात की आशंका है कि आने वाले दिनों में हरी मटर की कीमत में 100 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है.
बीते साल 18 दिसंबर को विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने मटर का 200 रुपये प्रति किलो का न्यूनतम आयात मूल्य (एमआईपी) तय किया है. इसके साथ ही मटर के सभी चार प्रकार-पीली मटर, हरी मटर, दाना मटर, और कसपा मटर को सिर्फ कोलकाता पोर्ट के माध्यम से आयात की अनुमति है.
यही नहीं, सरकार ने सिर्फ 1.50 लाख टन मटर आयात की ही अनुमति दी है. यहां बता दें कि दलहन के कुल आयात में मटर की हिस्सेदारी सबसे अधिक होती है. कनाडा से मटर का सबसे ज्यादा आयात होता है.
भारतीय दलहन और अनाज संघ (IPGA) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रदीप घोराडे ने बताया कि भारत में 30 लाख टन मटर की खपत होती है. वहीं स्थानीय स्तर पर सिर्फ 5 लाख टन की मदद मिलती है, बाकी आयात किया जाता है.
इसमें से 5 लाख टन पीली मटर और 2.5 लाख टन हरी मटर का आयात शामिल है. अब आयात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. IPGA के मुताबिक मटर पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद आयात करना संभव नहीं है. आईपीजीए का कहना है कि सरकार उन वस्तुओं पर आयात प्रतिबंधों पर पुनर्विचार करे जहां स्थानीय उत्पादन कम है. ऐसे में इस बात की आशंका है कि कीमत बढ़ सकती है.
घरेलू उत्पादन पर्याप्त नहीं होने के बाद भी आयात पर प्रतिबंध की क्यों जरूरत पड़ी? इस पर सरकार का तर्क है कि घरेलू उत्पादन की रक्षा करना जरूरी है. इसके साथ ही दाल, चना दाल (छोले) के लिए बेहतर कीमत सुनिश्चित भी किया जाएगा. इस बार पर्याप्त बारिश की वजह से चना की फसल बहुत अच्छी होने की उम्मीद है. ऐसे में चना किसानों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य मिलने की उम्मीद है.
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