साहसिक एवं विकासोन्मुखी बजट:

दशक के पहला बजट जो कोरोना जैसी महामारी के दौरान प्रस्तुत किया गया वह निश्चित रूप से एक साहसिक एवं अर्थव्यवस्था को विकास की ओर ले जाने वाला बजट है। अर्थव्यवस्था में आई बढ़ी गिरावट के बाबजूद कर दरों को यथावत रखना तथा कोई नया कर न लगाना एवं पूँजीगत व्यय में बड़ी बढ़ोतरी करना साहसिक कदम है। कुल व्यय में दस प्रतिशत से ज़्यादा की वृद्धि से आर्थिक विकास को गति मिलेगी। सरकार बुनियादी संरचना, कृषि, शिक्षा एवं स्वास्थ्य पर लगातार बजट में बढ़ोतरी कर नई नई योजनाओं के माध्यम से इन क्षेत्रों का विकास कर रही है। अफार्डेबल हाउसिंग योजना तथा स्टार्ट अप के लिए एक साल और बढ़ाने से इन क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा।

७५ वर्ष या ज़्यादा आयु वाले वरिष्ठ नागरिकों को आयकर विवरणी दाखिल करने से छूट निश्चित रूप से स्वागत योग्य है यद्यपि इसमें शर्त यह है कि उनकी केवल पेंशन आय हो तथा उसी बैंक से ब्याज मिलता हो उनकी आय पर लगने वाला कर सम्बन्धित बैंक द्वारा काटा जायेगा । शैक्षणिक तथा चिकित्सीय संस्थाओं की करमुक्ति की सीमा पहले कुल प्राप्तियों के एक करोड़ होने तक ही होती थी जिसे बढ़ाकर अब पाँच करोड़ तक कर दिया गया है जिससे कई शैक्षणिक एवं चिकित्सीय संस्थाओं को लाभ होगा। बजट का निराशाजनक पहलू बचतों को बढ़ावा न देना है जबकि धारा ८० सी तथा ८०डी में छूट की सीमा बढ़ाने की पूरी आशा थी। कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था की दृष्टि से यह बहुत अच्छा बजट है।

सीए राजेन् विद्यार्थी, स्वतंत्र निदेशक आई टी आई लि. ,पूर्व अध्यक्ष बरेली शाखा आई सी ए आई

 

बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !

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