भारतीय खाद्य निगम द्वारा गेहूं की छठी ई-नीलामी आयोजित की गई

23 क्षेत्रों के 611 डिपो से 10.69 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) गेहूं बिक्री के लिए प्रस्तुत किया गया

छठी ई-नीलामी में 970 बोलीदाताओं को 4.91 लाख मीट्रिक टन गेहूं बेचा गया

गेहूं और आटे के मूल्यों को नियंत्रित करने के उपाय के रूप में भारत सरकार की एक पहल के तहत गेहूं की साप्ताहिक ई-नीलामी की अगली कड़ी में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा दिनांक 15 मार्च, 2023 को छठी ई-नीलामी आयोजित की गई।

एफसीआई के 23 क्षेत्रों के 611 डिपो से कुल 10.69 लाख मीट्रिक टन गेहूं बिक्री के लिए प्रस्तुत किया गया और 970 बोलीदाताओं को 4.91 लाख मीट्रिक टन गेहूं बेचा गया।

छठी ई-नीलामी में अखिल भारतीय भारित औसत आरक्षित मूल्य 2140.46 रुपये प्रति क्विंटल की तुलना में भारित औसत बिक्री मूल्य 2214.32 रुपये प्रति क्विंटल प्राप्त हुआ।

छठी नीलामी में सबसे अधिक मांग 100 से 499 मीट्रिक टन तक की रही, जिसके बाद 500 से 999 मीट्रिक टन की और उसके बाद 50 से 100 मीट्रिक टन मात्रा की रही।

पहली नीलामी 1 और 2 फरवरी 2023 को आयोजित की गई थी जिसमें 9.13 लाख मीट्रिक टन गेहूं 1016 बोलीदाताओं को 2474 रुपये प्रति क्विंटल के भारित औसत मूल्य पर बेचा गया। 15 फरवरी 2023 को दूसरी नीलामी में 3.85 लाख मीट्रिक टन गेहूं 1060 बोलीदाताओं को 2338 रुपये प्रति क्विंटल के भारित औसत मूल्य पर बेचा गया।

तीसरी ई-नीलामी के दौरान 875 सफल बोलीदाताओं को 5.07 लाख मीट्रिक टन गेहूं 2173 रुपये प्रति क्विंटल के भारित औसत मूल्य पर बेचा गया। चौथी ई-नीलामी के दौरान 5.40 लाख मीट्रिक टन गेहूं 1049 सफल बोलीदाताओं को 2193.82 रुपये प्रति क्विंटल के भारित औसत मूल्य पर बेचा गया। 5वीं ई-नीलामी में 5.39 लाख मीट्रिक टन गेहूं 1248 बोलीदाताओं को 2197.91 रुपये प्रति क्विंटल के भारित औसत मूल्य पर बेचा गया।

5वीं ई-नीलामी तक 28.86 लाख मीट्रिक टन गेहूं का स्टॉक बेचा जा चुका है, जिसमें से 14 मार्च, 2023 के अनुसार 23.30 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उठान हो गया है।

छठी ई-नीलामी के बाद, ओएमएसएस (डी) के तहत गेहूं की संचयी बिक्री 45 लाख मीट्रिक टन गेहूं के कुल आवंटन के मुकाबले 33.77 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गई है।

गेहूं की इस बिक्री का पूरे देश में गेहूं और आटे के मूल्यों को कम करने में काफी प्रभाव पड़ा है। ओएमएसएस (डी) के तहत गेहूं की खुली बिक्री के लिए भविष्य की निविदाओं के कारण मूल्यों के स्थिर बने रहने की संभावना है।

ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन

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