मैरी कॉम ने जीता पांचवा गोल्ड मेडल
विश्व चैंपियन मैरी कॉम ने इतिहास रच दिया है। मैरी कॉम ने मुक्केबाजी की एशियाई चैंपियनशिप में 48 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड मेडल जीता। एशियाई चैंपियनशिप में उनका ये पांचवा गोल्ड मेडल है। बता दें कि 2012 रे ओलंपिक में ब्रोंज मेडल जीतने वाली मैरी कॉम 2016 के रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहींकर पाईं थीं जिसके बाद से माना जाने लगा था कि मैरी कॉम का पीरियड खत्म हो गया है, लेकिन मैरी कॉम ने एशियाई चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर साबित कर दिया है कि उनके जैसा स्टार मुक्केबाज कोई नहीं।
जीतीं ये चैंपियनशिप
धीरे-धीरे मेहनत और लगन के साथ मैरी कॉम उस स्टेज तक पहुंच गईं जब चैंपियनशिप उनके नाम होने लगीं और धड़ाधड़ रिकॉर्ड बनने लगे। मैरी कॉम ने साल 2001 में पहली बार राष्ट्रीय महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती।
इसके अलावा मैरी कॉम Witch Cup, Women’s World Cup जैसी कई चैंपियनशिप जीतीं।
बॉक्सिंग में देश का नाम रोशन करने के लिए मैरी कॉम को साल 2003 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया, तो वहीं राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार और पद्म भूषण जैसे सर्वोच्च सम्मान भी दिए गए।
मैरी कॉम की जिंदगी पर बनी फिल्म
तभी तो मैरी कॉम की लाइफ पर बॉलीवुड में एक फिल्म भी बनी। इस फिल्म में प्रियंका चोपड़ा ने मैरी कॉम का किरदार निभाया। फिल्म में दिखाया मैरी कॉम की जिंदगी की स्ट्रगल, उनके चैंपियन बनने का पूरा सफर दिखाया गया। इस फिल्म को नेशनल अवॉर्ड मिला, जबकि मैरी कॉम के निभाए किरदार के लिए प्रियंका चोपड़ा को फिल्मफेयर का बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड मिला।
गरीबी में भी देखे बड़े सपने
मणिपुर के एक छोटे से गांव में एक गरीब किसान के घर जन्मी मैरी कॉम ने बड़े सपने तो देखे ही लेकिन उन्हें पूरा करने का जज्बा भी दिखाया। शायद इसीलिए गरीबी उनके आड़े नहीं आई। उन्होंने जमकर मेहनत की।
इस घटना ने मैरी कॉम को बनाया बॉक्सर
बचपन से ही मैरी कॉम का रूझान खेलों, खासकर athletics की तरफ था, लेकिन बॉक्सिंग की तरफ उनका रुझान तब हुआ जब उन्होंने एक बार खुमान लम्पक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में कुछ लड़कियों को लड़कों के साथ बॉक्सिंग रिंग में देखा। बस वहीं से मैरी कॉम की जिंदगी बदल गई। मैरी कॉम को लगा कि जब वो लड़कियां बॉक्सिंग कर सकती हैं तो फिर वो क्यों नहीं।