कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 – वेटलिफ्टिंग में मिला भारत को दूसरा गोल्ड, संजीता चानू ने स्नैच में 84 किग्रा वजन उठा,बनाया रिकॉर्ड

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21वें कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को दूसरा गोल्ड भी वेटलिफ्टिंग के मुकाबले में ही मिला। वेटलिफ्टर संजीता चानू ने शुक्रवार को 53 किग्रा कैटेगरी में यह पदक दिलाया। उन्होंने कुल 192 किलोग्राम (स्नैच में 84 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 108 किग्रा) वजन उठाया। संजीता ने लगातार दूसरे कॉमनवेल्थ में गोल्ड मेडल जीता है। इससे पहले उन्होंने 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ में 48 किग्रा कैटेगरी में यह पदक अपने नाम किया था। इस मुकावले में पापुआ न्यू गिनी की लोआ टौआ ने सिल्वर और कनाडा की राचेल बैजिनेट ने ब्रॉन्ज जीता। भारत की मीराबाई चानू ने गुरुवार को भारत को पहला गोल्ड मेडल दिलाया था।

शुरू से ही जीत के रंग में दिखीं चानू
24 साल की संजीता चानू ने खेल के दौरान अपनी तीन कोशिशों में लगातार 81, 82 और 84 किग्रा वजन उठाते हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में रिकॉर्ड कायम किया। इसके बाद, क्लीन एंड जर्क में पहली कोशिश में 104 और फिर 108 किग्रा वजन उठाया। हालांकि, तीसरी कोशिश में उन्होंने 112 किग्रा वजन ऑप्ट किया, लेकिन फाउल कर गईं। इस तरह कुल 192 किग्रा वजन उठाकर गोल्ड मेडल पर कब्जा किया। उन्होंने खेल में शुरू से दबदबा बना रखा था। दूसरे नंबर पर रही पापुआ न्यू गिनी की लोआ डिका उनसे 10 किग्रा वजन उठाने में पीछे रहीं। लोआ कुल 182 किग्रा वजन उठा सकीं।

संजीता ने तोड़ा स्वाति सिंह का रिकॉर्ड
2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की स्वाति ने स्नैच में 83 किग्रा वजन उठाकर रिकॉर्ड बनाया था। इसे शुक्रवार को गोल्ड कोस्ट में संजीता ने 84 किग्रा वजन उठाकर तोड़ दिया।

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हालांकि, स्वाति सिंह 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में क्लीन एंड जर्क में 100 किग्रा वजन उठा पाई थीं। इस वजह से वे चौथे नंबर पर रही थीं, लेकिन गोल्ड जीतने वाली नाइजीरिया की चिका अमालाहा का डोप टेस्ट पॉजिटिव आ जाने की वजह से उनसे यह पदक छीन लिया गया था। इसके बाद दूसरे नंबर पर रहीं पापुआ न्यू गिनी की लोआ टौआ को गोल्ड दे दिया गया था। जबकि तीसरे नंबर पर रहीं भारत की संतोषी मात्सा को सिल्वर दिया गया था। वहीं, चौथे नंबर पर रही स्वाति ब्रॉन्ज जीतने में कामयाब रही थीं।

2011 में सुर्खियों में आईं थीं चानू
आपको बता दें कि मणिपुर की मीराबाई चानू की ही तरह संजीता भी कुंजारानी देवी को अपना रोल मॉडल मानती हैं। संजीता पहली बार 2011 एशियन वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद सुर्खियों में आईं थी। इसके बाद 2012 में उन्होंने कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड जीता। 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में 20 साल की उम्र में 173 किग्रा वजन उठाकर गोल्ड जीता था। तब उन्होंने 171 किग्रा वजन उठाने वालीं मीराबाई चानू को दूसरे स्थान पर धकेल दिया था।

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अर्जुन पुरस्कार मामले पर हाईकोर्ट में की थी अपील

इसके बाद संजीता अर्जुन पुरस्कार नहीं मिलने पर हाईकोर्ट में अपील करने पर सुर्खियों में आई थी । बता दें कि संजीता को 2017 में अर्जुन पुरस्कार के लिए नहीं चुना गया। इसका विरोध करते हुए उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उनकी दलील थी कि लगातार दो साल से बेहतरीन प्रदर्शन करने के बावजूद उन्हें इस पुरस्कार के लिए नहीं चुना गया। जबकि खेल मंत्रालय ने उनसे कमतर परफार्मेंस देने वाले एथलीट्स को इस पुरस्कार के लिए चुना।
हालांकि हाई कोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज कर दी थी। उनसे पहले 2015 में मुक्केबाज मनोज कुमार भी अर्जुन पुरस्कार न मिलने के विरोध में हाईकोर्ट पहुंच गए थे। अदालत के दखल के बाद ही उन्हें अर्जुन पुरस्कार मिला था ।

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