यूपी-बदायूँ बरेली बवाल में आरोपी बने इत्तेहादे मिल्लत काउंसिल (IMC) अध्यक्ष और धर्मगुरु मौलाना तौकीर रजा खान की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं।

यूपी -बदायूँ बरेली बवाल में आरोपी बने इत्तेहादे मिल्लत काउंसिल (IMC) अध्यक्ष और धर्मगुरु मौलाना तौकीर रजा खान की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। बरेली में हिंसा भड़काने के आरोप में जेल की हवा खा रहे तौकीर रजा के खिलाफ अब बदायूं जिले से भी एक पुराना मामला सामने आया है।

यह मामला करीब 28 साल पुराना कृषि ऋण घोटाला है। जानकारी के मुताबिक, तौकीर रजा ने साधन सहकारी समिति करतौली से वर्ष 1997 में लगभग 5055 रुपये की खाद उधार ली थी, लेकिन इस रकम को आज तक वापस नहीं किया।

अब ब्याज सहित यह बकाया रकम 2,83,460 रुपये तक पहुंच गई है। बैंक प्रशासन ने तौकीर रजा के खिलाफ वसूली की कार्रवाई शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, अगर रकम जमा नहीं की गई तो उनकी संपत्ति कुर्क करने की कार्यवाही भी की जा सकती है।

खाद ली, न ब्याज चुकाया, न मूलधन अब ब्याज बना बला

बदायूं जिले के बिनावर थाना क्षेत्र के करतौली गांव निवासी मौलाना तौकीर रजा ने किसान क्रेडिट योजना के तहत खाद और बीज खरीदने के लिए यह राशि ली थी। उस समय समिति से किसानों को फसल उत्पादन के लिए आसानी से खाद-बीज दिए जाते थे।

समिति के रेकॉर्ड के मुताबिक, तौकीर रजा ने यह रकम साल 1997 से पहले ली थी। लेकिन न तो उन्होंने मूलधन लौटाया, न ब्याज भरा। कई बार बैंक ने उन्हें नोटिस भेजे, मगर कोई जवाब नहीं मिला।

डीसीडीएफ
(District Cooperative Development Federation) के अध्यक्ष रवेंद्र पाल सिंह ने बताया

“मौलाना तौकीर रजा मूल रूप से करतौली गांव के निवासी हैं। उन्होंने उस समय समिति से खाद ली थी, लेकिन रकम कभी नहीं चुकाई। बैंक ने पहले भी कई बार नोटिस भेजे, लेकिन अब जब उनके खिलाफ बरेली में बवाल के मुकदमे चल रहे हैं, तो पुराने रिकॉर्ड दोबारा जांचे गए और यह बकाया सामने आया है।”

राजनीति और धर्मगुरु बनने के बाद दबा रह गया मामला

बैंक अधिकारियों का कहना है कि उस वक्त तौकीर रजा एक सामान्य व्यक्ति के रूप में खेती-बाड़ी से जुड़े थे, लेकिन बाद में धर्मगुरु और सियासी चेहरा बनने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

अब जब बरेली में 26 सितंबर को हुए बवाल के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई, तब प्रशासन ने उनसे जुड़े पुराने मामलों की जांच शुरू की। इसी जांच में बदायूं जिले के करतौली स्थित सहकारी समिति का बकाया सामने आया है।

डीसीबी (District Cooperative Bank) के चेयरमैन जे.के. सक्सेना ने पुष्टि करते हुए कहा —> “बैंक के रिकॉर्ड में मौलाना तौकीर रजा पर करीब 2.83 लाख रुपये की बकाया राशि दर्ज है। यह बकाया 1997 से चला आ रहा है। विभाग अपने स्तर पर इसकी वसूली की प्रक्रिया शुरू कर चुका है।”

बरेली बवाल से लेकर पुराने कर्ज तक— चारों ओर से बढ़ता शिकंजा

बरेली में हुए बवाल में तौकीर रजा पर दस मुकदमों में साजिशकर्ता के रूप में नामजदगी हुई है। उन्हें पहले ही जेल भेजा जा चुका है।

अब इस पुराने कर्ज का मामला सामने आने के बाद उनकी मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं। पुलिस और प्रशासन दोनों ही उनके पुराने वित्तीय और सामाजिक रिकॉर्ड खंगाल रहे हैं।

सूत्रों का कहना है कि अगर यह रकम तय समय पर अदा नहीं की गई, तो सहकारी बैंक उनकी संपत्ति कुर्क कर सकता है।

कर्ज का ब्याज कैसे बना भारी बोझ

साल 1997 में ली गई 5055 रुपये की खाद पर सहकारी बैंक ने वर्षों तक ब्याज जोड़ते हुए अब यह रकम 2.83 लाख रुपये कर दी है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, “ब्याज का हिसाब वार्षिक दर से लगाया गया है। इतने लंबे समय तक भुगतान न होने के कारण रकम कई गुना बढ़ गई है।”

तौकीर रजा के लिए बढ़ती मुसीबतों की लिस्ट

1. बरेली बवाल में आरोपी — 10 से अधिक केस दर्ज।

2. अब बदायूं में बैंक रिकवरी का नोटिस — 2.83 लाख रुपये की वसूली प्रक्रिया शुरू।

3. संपत्ति कुर्की की तैयारी — भुगतान न होने पर कार्रवाई संभव।

4. सियासी असर — पार्टी और समर्थकों में बेचैनी बढ़ी।

बरेली बवाल के बाद मौलाना तौकीर रजा की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहले सियासी और कानूनी मोर्चे पर संकट, और अब वित्तीय मामलों में फंसने से उन पर तीन दशक पुराना आर्थिक बोझ फिर सामने आ गया है।

प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में बैंक की वसूली टीम उनके खिलाफ औपचारिक कार्रवाई शुरू करेगी और यदि भुगतान नहीं हुआ तो कुर्की की कार्यवाही तय मानी जा रही है।

बरेली से रोहिताश कुमार की रिपोर्ट

 

 

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