न्यायपालिका में तकनीकी क्रांति का आरंभ

⚖️ ऐतिहासिक कदम: सुप्रीम कोर्ट की AI समिति में ‘ChatGPT वाले जज’ की एंट्री; न्यायपालिका के डिजिटल भविष्य का रोडमैप तैयार

नई दिल्ली: भारतीय न्याय प्रणाली के डिजिटलीकरण में एक महत्वपूर्ण अध्याय जुड़ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पुनर्गठित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) समिति में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनूप चितकारा को सदस्य के रूप में शामिल किया है।

यह नियुक्ति इसलिए खास है क्योंकि जस्टिस चितकारा देश के पहले ऐसे न्यायाधीश थे जिन्होंने अपने एक न्यायिक आदेश में AI टूल ChatGPT का उपयोग किया था, जिससे उन्होंने न्यायिक क्षेत्र में तकनीकी जागरूकता की एक नई मिसाल पेश की।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पहल पर गठित यह उच्च-स्तरीय समिति न्यायपालिका को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने और न्यायिक प्रक्रियाओं को तेज, सटीक और प्रभावी बनाने की दिशा में काम करेगी।


🚀 AI समिति का नेतृत्व और प्रमुख सदस्य

इस शक्तिशाली AI समिति की कमान सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा संभालेंगे। समिति में देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों से अनुभवी और तकनीक-सजग न्यायाधीशों को शामिल किया गया है:

पद न्यायाधीश का नाम उच्च न्यायालय/संस्थान
अध्यक्ष न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा सुप्रीम कोर्ट
सदस्य मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय
सदस्य न्यायमूर्ति राजा विजया राघवन वी.के. केरल उच्च न्यायालय
सदस्य न्यायमूर्ति सूरज गोविंदराज कर्नाटक उच्च न्यायालय
सदस्य न्यायमूर्ति अनूप चितकारा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय

विभिन्न राज्यों के न्यायाधीशों का यह समागम सुनिश्चित करेगा कि AI समाधान देशभर की न्यायिक चुनौतियों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर तैयार किए जाएं।


🎯 समिति के मुख्य कार्य और ज़िम्मेदारियाँ

इस समिति का प्राथमिक लक्ष्य सर्वोच्च न्यायालय से लेकर निचली अदालतों तक AI आधारित तकनीकों के विकास और क्रियान्वयन को गति देना है। इसके प्रमुख एजेंडे में ये बिंदु शामिल हैं:

  • डिजिटल केस मैनेजमेंट: मामलों के प्रबंधन को स्वचालित और कुशल बनाना।

  • स्वचालित सूचीकरण (Automatic Listing): मामलों की सुनवाई के लिए प्राथमिकता तय करना।

  • दस्तावेज़ और डेटा प्रबंधन: कानूनी दस्तावेज़ों के विश्लेषण और संग्रहण को आसान बनाना।

  • पारदर्शिता और दक्षता: तकनीक के उपयोग से न्यायिक प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करना।

  • वादकारियों के लिए सरलता: आम नागरिकों के लिए न्यायिक प्रक्रियाओं को सुगम बनाना।

🧑‍⚖️ क्यों अहम है जस्टिस अनूप चितकारा की भूमिका?

न्यायमूर्ति चितकारा ने 2023 में एक जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ChatGPT का संदर्भ लिया था।

उन्होंने अंतरराष्ट्रीय जमानत मानकों की तुलनात्मक समझ के लिए AI की मदद ली, हालांकि अपने आदेश में स्पष्ट किया कि AI किसी निर्णय का विकल्प नहीं है, बल्कि कानूनी शोध में सहायक मात्र है। उनका यह संतुलित और नवोन्मेषी दृष्टिकोण न्यायिक प्रणाली में AI के सफल एकीकरण के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

🌐 न्यायपालिका में AI की अपार संभावनाएँ

भारत में करोड़ों लंबित मामलों की चुनौती को देखते हुए, AI एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।

  • केस सारांश: विस्तृत केस दस्तावेज़ों का त्वरित सारांश तैयार करना।

  • कानूनी शोध: जटिल कानूनी प्रश्नों पर तत्काल और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना।

  • प्राथमिकता निर्धारण: सबसे पुराने या सबसे जरूरी मामलों की पहचान करना।

हालांकि, समिति को डेटा सुरक्षा, गोपनीयता, एल्गोरिथम निष्पक्षता और सबसे बढ़कर, न्यायिक प्रक्रिया में मानवीय विवेक की भूमिका बनाए रखने जैसे मुद्दों पर विशेष सतर्कता बरतनी होगी।

🌟 निष्कर्ष: न्यायिक सुधार की नई दिशा

सुप्रीम कोर्ट का यह कदम स्पष्ट संकेत है कि भारतीय न्यायपालिका अपनी सदियों पुरानी परंपराओं को बरकरार रखते हुए, आधुनिक तकनीक को अपनाने के लिए पूरी तरह तैयार है।

जस्टिस चितकारा जैसे तकनीक-सजग न्यायाधीशों की भागीदारी सुनिश्चित करेगी कि AI का उपयोग न्यायिक समझ और अनुभव के साथ संतुलित रूप से हो। इस AI समिति की सिफारिशें न केवल भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर न्यायिक सुधारों के लिए एक रोडमैप तैयार कर सकती हैं।


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