श्री हरि मंदिर बरेली के 65 वा वार्षिक महोत्सव के अंतर्गत श्रीमद भागवत कथा का षष्ठम दिवस

आज 23/08/25 को श्री हरि मंदिर मॉडल टाउन, बरेली के 65 वा विराट भक्ति वार्षिक महोत्सव के अंतर्गत श्रीमद भागवत कथा के षष्ठम दिवस विद्वान ब्राह्मणों द्वारा सर्वप्रथम नवग्रह और श्रीमद भागवत जी का विधिवत पूजन किया गया तत्पश्चात पठानकोट से पधारे श्री अतुल कृष्ण महाराज ने कथा श्रवण कराते हुए कहा कि विदर्भ के राजा भीष्मक के 5 पुत्र और 1 पुत्री थी जिस का नाम रुक्मणि था।

अत्यंत सुन्दर, बुद्धिमान,और सदाचारी व्यवहार वाली रुक्मणि, बचपन से ही श्री कृष्ण की साहस और वीरता की कायल थी। ऐसा भी कहा जाता है कि उन्होंने श्री कृष्ण द्वारा कंस के वध को भी साक्षात्य देखा था।

जब रुक्मणि की उम्र विवाह योग्य हुई,तू इस के संबंध में उनके भाई रिक्की और माता पिता को चिंता होने लगी। एक बार राजमहल के पुरोहित जी द्वारिका से भ्रमण करते हुए विदर्भ आए।

यहां आकर श्री कृष्ण के रूप में के रूप और गुण का वर्णन करने लगे ,और साथ ही चित्र के माध्यम से सभी को उनकी छवि के दर्शन कराए । उस वक्त देवी रुक्मणी ने देखा तो वह भी मोहित हो गई और मन ही मन उन्हें अपना स्वामी मान बैठी।

देवी रुक्मणी के पिता और भाई का संबंध सदैव श्री कृष्ण का अहित करने वाले जरासंध और शिशुपाल से था, यही वजह थी कि रुक्मणी का विवाह श्री कृष्ण से होना संभव नहीं था,जब राजनीतिक संबंधों को ध्यान में रखकर शिशुपाल से रुक्मणी का विवाह उनकी मर्जी के विरुद्ध तय हो गया तब देवी ने नहीं रहा गया और उन्होंने प्रेम पत्र लिखकर ब्राह्मण कन्या सुनाया के हाथों श्री कृष्णा तक पहुंचा दिया।

भेजे गए उस पत्र में रुक्मणी लिखती है,”है नंद नंदन मैं आप को ही पति के रूप में वरण किया है मैं आपके अतिरिक्त और किसी अन्य पुरुष से विवाह नहीं कर सकती,मेरे पिता और भाई,मेरी इच्छा के विरुद्ध मेरा विवाह शिशुपाल के साथ करना चाहते हैं, और विवाह की तिथि भी निश्चित है मेरे कल की रीत है है कि विवाह से पूर्व दुल्हन की वेशभूषा में बधू नगर के बाहर गिरिजा मंदिर में दर्शन प्राप्ति हेतु जाती है मैं भी वहां जाऊंगी अतः आपसे मेरा निवेदन है कि आप आए और मुझे पत्नी के रूप में वही स्वीकार करें अगर आप नहीं आते हैं तो मैं अपने प्राणों का त्याग करने की मान्य रखती हूं अब भगवान श्री कृष्णा स्वयं सृष्टि के रचयिता है

उनसे कुछ भी छुपा हुआ नहीं है फिर जब उन्हें अभ्यास हुआ की देवी रुक्मणी संकट में है तो उन्होंने योजना बनाई जब शिशुपाल बारात लेकर विदर्भ पहुंचा तो उससे पहले ही रिक्वेस्ट अपने बड़े भाई बलराम की मदद से रुक्मणी का हरण करके वहां से चले गए हरण के पश्चात श्री कृष्ण की ध्वनि से आसमान तक एक सूचना दी यह देखकर श्री ग्वालियर तुम क्रोध में आ गया बेडरूम की श्री कृष्ण के बाद की मंशा से वहां से निकल पड़ा लेकिन यहां भी उसके हाथ तो हर ही लगी और प्रभु देवी रुक्मणी समेत द्वारिका की ओर प्रस्थान कर गए द्वारका में श्री कृष्ण रुक्मणी के विवाह की उत्तम तैयारी हुई और विवाह संपन्न हुआ ऐसा कहा जाता है

कि स्टेशन का हर बार हर करम लीला है जिससे जीवन जीने की एक सिख प्राप्त है इसी प्रकार सीक्रेट रिकॉर्डिंग वहां में भी ऐसी मिलती है महिलाओं को अपने अधिकार सुनने का पूरा अधिकार और जब भी मनुष्य अपनी इच्छाओं को प्रभु के समक्ष प्रकट करेगा अपने आशीष से सचिव रवि छाबड़ा जी ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा 24 अगस्त तक प्रतिदिन शाम 6 बजे से 10 बजे तक होगी।आप सभी सादर सपरिवार आमंत्रित हैं।

आज के कार्यक्रम में मंदिर कमेटी के अध्यक्ष सुशील अरोड़ा, सचिव रवि छाबड़ा ,अश्विनी ओबेरॉय, संजय आनंद, गोविंद तनेजा,जितेंद्र अरोरा,अतुल कपूर,दीपक साहनी,रोहन कुमार,हरीश लुनियाल,राजेश अरोरा,कथा के यजमान सुप्रिया अंकित अग्रवाल, शुभ अनुज अग्रवाल शीशगढ़ वाले आदि उपस्थित रहे।

महिला सेवा समिति की अध्यक्ष रेनू छाबड़ा, कंचन अरोड़ा,नेहा आनंद,नीलम साहनी,नीलम लुनियाल,सीमा तनेजा,सोनिका आहूजा,रजनी लूथरा,सुनीता खुरानाआदि उपस्थित रही और भागवत जी की आरती उतारी।

बरेली से रोहिताश कुमार की रिपोर्ट

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: