सिम स्वैप फ्रॉड: ICICI, Vi शामिल
🚨 SIM स्वैप धोखाधड़ी पर बड़ा फैसला: गुजरात में पीड़ित फर्म को ₹1.19 करोड़ से अधिक का नुकसान, IT अधिनियम के तहत जाँच
अहमदाबाद/नई दिल्ली: सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (Information Technology Act) के तहत एक महत्वपूर्ण फैसले में, गुजरात के न्याय निर्णायक (Adjudicating Officer) ने अहमदाबाद स्थित एक फ़र्म से जुड़े बड़े साइबर धोखाधड़ी (Cyber Fraud) मामले पर फैसला सुनाया है। क्लोन किए गए सिम कार्ड का उपयोग करके किए गए अनधिकृत बैंक लेनदेन के कारण इस फ़र्म को ₹1.19 करोड़ रुपये से अधिक का भारी नुकसान हुआ था।
यह मामला बीयरिंग ट्रेडिंग कंपनी कलेक्टिव ट्रेड लिंक्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों और आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank), वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (ViL) के साथ-साथ स्थानीय कानून प्रवर्तन अधिकारियों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है।
📱 कैसे हुई SIM स्वैप धोखाधड़ी?
यह शिकायत सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 43 और 43ए के तहत दर्ज की गई थी, जिसमें SIM स्वैप तकनीक का इस्तेमाल करके OTP सुरक्षा उपायों को दरकिनार करने का विस्तृत विवरण दिया गया है।
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SIM स्वैप तकनीक: अपराधियों ने निदेशक प्रकाश मेहता के बैंक से जुड़े मोबाइल नंबर का एक क्लोन सिम (Cloned SIM) प्राप्त किया।
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घटना का समय: यह धोखाधड़ी मार्च 2023 के एक सप्ताहांत में हुई। उस समय निदेशक वियतनाम में थे, और उनका मूल सिम अंतरराष्ट्रीय रोमिंग पर सक्रिय था।
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वोडाफोन आइडिया की लापरवाही: अपराधियों ने एक संदिग्ध ईमेल भेजकर SIM स्वैप का अनुरोध किया। वोडाफोन आइडिया (Vi) ने बिना उचित सत्यापन के इस अनुरोध पर कार्रवाई की और नया सिम सक्रिय कर दिया।
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OTP तक पहुंच: नया सिम सक्रिय होते ही, धोखेबाजों को बैंक लेनदेन के लिए आवश्यक वन टाइम पासवर्ड (OTP) प्राप्त होने लगा।
💸 एक दिन में ₹1.19 करोड़ का चूना
रविवार को, जब कंपनी का कार्यालय बंद था, जालसाजों ने इस नए सक्रिय सिम का उपयोग किया। उन्होंने आईसीआईसीआई बैंक खाते से 22 अनधिकृत लेनदेन (RTGS और NEFT) के माध्यम से कुल ₹1,19,37,000 अज्ञात खातों में स्थानांतरित कर दिए।
इस गंभीर मामले में आईसीआईसीआई बैंक और वोडाफोन आइडिया दोनों की भूमिका पर सवाल उठे हैं। SIM स्वैप की वजह से हुई इस धोखाधड़ी ने एक बार फिर टेलीकॉम कंपनियों द्वारा ग्राहक सत्यापन (Customer Verification) और बैंकों की सुरक्षा प्रक्रियाओं की कमियों को उजागर किया है।
इस महत्वपूर्ण फैसले से यह उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में ऐसी साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए दूरसंचार और बैंकिंग क्षेत्र अपनी सुरक्षा प्रणालियों को और मजबूत करेंगे।
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