मोदी को खुली चुनौती देने वाले सत्यपाल मलिक नहीं रहे ! आल राइट्स मैगज़ीन के संपादक गोपाल चन्द्र अग्रवाल ने जताया दुःख

भारत के राजनेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को निधन हो गया है। वे लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। सत्यपाल मलिक के निधन की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उनके ही आधिकारिक अकाउंट से साझा की गई। एक्स पोस्ट में लिखा गया पूर्व गवर्नर चौधरी सत्यपाल सिंह मलिक नहीं रहे।जानकारी के अनुसार, सत्यपाल मलिक पिछले कई महीनों से विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। आरएलएम अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया था, जहां चिकित्सकों की देखरेख में उनका इलाज चल रहा था। लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद मंगलवार को उनका निधन हो गया।चौधरी सत्यपाल सिंह मलिक मेघालय, गोवा, बिहार और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में राज्यपाल के पद पर रह चुके थे। मलिक ने जम्मू-कश्मीर के अंतिम पूर्णकालिक राज्यपाल के रूप में काम किया। वे अपने स्पष्टवादी और बेबाक बयानों के लिए भी खासे चर्चित रहे।सत्यपाल मलिक के निधन की खबर फैलते ही राजनीतिक और सामाजिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई। कई प्रमुख नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके योगदान को याद किया।

वरीष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने आपने फेसबुक पोस्ट में लिखा :

जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल और एक जमाने के समाजवादी-लोकदली भाई सत्यपाल मलिक  नहीं रहे! दिल्ली स्थित राममनोहर लोहिया अस्पताल में आज उनका निधन हुआ.
समाजवादी-लोकदली खेमे के अनेक नेताओं की तरह कुछ साल पहले वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गये थे. लेकिन मिज़ाज से संघी न होने के कारण वह भाजपा में बड़ी हस्ती नहीं बन सकते थे. अटल-आडवाणी दौर में वह सांगठनिक पदों तक सीमित रहे.
नरेंद्र मोदी के प्रधान मंत्री बनने के बाद उन्हें पहली बार शासकीय पद मिला. सन् 2017 में वह बिहार के गवर्नर बनाये गये. कुछ अन्य राज्यों में भी वह गवर्नर रहे. पर उनका सबसे उल्लेखनीय कार्यकाल 2018-19 का रहा, जब वह जम्मू-कश्मीर के गवर्नर थे. संघ-भाजपा से सम्बद्ध एक नेता के कथित भ्रष्टाचार को लेकर वह कुछ ऐसी बातें कहने लगे कि उनका सत्ता-संरचना में बरकरार रहना नामुमकिन हो गया!
संयोग देखिये, उनका निधन आज 5 अगस्त को हुआ.
मलिक साहब के गवर्नर-कार्यकाल में आज ही के दिन यानी 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर मामले में केंद्र ने बहुत बड़ा फैसला लिया था. संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जा वाले प्रावधान को निष्प्रभावी कर दिया गया! गवर्नर मलिक ने तब केंद्र से किसी तरह की असहमति नहीं जताई..
कुछ समय बाद ही केंद्र से उनका मतभेद शुरू हो गया. अंतत: उन्हें वहां से हटाकर पहले गोवा और फिर मेघालय भेज दिया गया. मेघालय उनकी गवर्नरी का आखिरी पडाव था. इसके बाद उनका केंद्र से रिश्ता इतना खराब हुआ कि उनके घर पर केंद्रीय एजेंसियों ने छापेमारी तक की. कुछ मामले भी दर्ज हुए! लेकिन मलिक केंद्र के सत्ता-संचालकों के आगे झुके नहीं!
कांग्रेस नेता राहुल गांधी से उनकी निकटता लगातार बढ़ती गयी.
खराब स्वास्थ्य और केंद्र के कोप के बावजूद भाजपा और केंद्र के शीर्ष नेतृत्व के प्रति उनका विद्रोह बरकरार रहा!
दिवंगत नेता को हमारी सादर श्रद्धांजलि!

आल राइट्स मैगज़ीन के संपादक गोपाल चन्द्र अग्रवाल ने जताया दुःख

सत्यपाल मलिक एक जमीनी नेता थे , उन्होने किसानो के मुद्दों को केंद्र सरकार के आगे रखा आज उनके जाने से किसान भी पीड़ा में है !

दिवंगत आत्मा  को हमारी श्रद्धांजलि!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: