चंद्रशेखर आज़ाद की 115वीं जयंती पर किया याद
बरेली। मानव सेवा क्लब के तत्वावधान में आज शुक्रवार को डी. डी. पुरम शहीद स्मारक पर अमर शहीद चंद्र शेखर आजाद की 115वीं जयंती पर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद जैसा पराक्रमी आज तक पैदा नहीं हुआ।
उनकी निष्ठा और पराक्रम और देश प्रेम की भावना से युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिये।चंद्रशेखर आजाद के कृतित्व पर एक गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। जिसमें लेखक साहित्यकार सुरेश बाबू मिश्रा ने कहा कि इतिहास गवाह है कि एक पीढ़ी कष्ट सहती है और आगामी पीढ़ी उसका सुख भोगती है। एक पीढ़ी पेड़ लगाती है और दूसरी पीढ़ी उस पेड़ के फल खाती है। आजादी के लिए जान देने वाली पीढ़ी में एक विशिष्ट नाम है चन्द्रशेखर आजाद का।जो23जुलाई 1906को मध्य प्रदेश के भावरा नामक स्थान पर श्री सीताराम तिवारी के घर पैदा हुए । बचपन से ही राष्ट्र प्रेम उनके जीवन का उद्देश्य रहा।
क्लब के अध्यक्ष सुरेन्द्र बीनू सिन्हा ने कहा कि लोकमान्य तिलक का यह वाक्य चन्द्र शेखर की प्रेरणा का श्रोत था सुराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा। जलियांवाला कांड ने उनके जीवन की दिशा बदल दी और उन्होंने संगठित होकर अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्षरत रहने का निर्णय लिया। वरिष्ठ पत्रकार निर्भय सक्सेना ने कहा कि चंद्र शेखर आजाद ने काकोरी काण्ड और सांडर्स की हत्या के बाद उन्होंने संघर्ष तेज करने का निश्चय किया।
वह युवाओं के लिए आदर्श हैं उनका पावन चरित्र शुद्ध आचरण साहस आदत का खरापन , जातिवाद से दूर रहने का भाव कुशल रणनीति और राष्ट्र निष्ठा युगों तक देश की युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन करेगा। गोष्ठी में अभय सिंह भटनागर ने कहा कि आजाद का कहना था कि अंग्रेज उन्हें कभी जिंदा नहीं पकड़ सकते। और जब इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में मुखबरी के बाद 27 फरवरी 1931 को अंग्रजी पुलिस से घिर गए तो खुद को गोली मार ली। ताकि आजाद रहने का कथन सार्थक हो।
कवि इन्द्र देव ने चंद्र शेखर औऱ बालगंगाधर तिलक को अपने गीत में श्रद्धांजलि दी। गोष्ठी का संचालन क्लब के अध्यक्ष सुरेन्द्र बीनू सिन्हा ने किया।निरूपमा अग्रवाल,राजेश्वरी अत्रि, अनिल सक्सेना प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !