R-Infra के ₹54.82 Cr के बैंक खाते जब्त

💥 बड़ा झटका: ED ने अनिल अंबानी की कंपनी R-Infra के ₹54.82 करोड़ जब्त किए, FEMA उल्लंघन का मामला

हाईवे प्रोजेक्ट के सार्वजनिक धन की हेराफेरी; फर्जी कंपनियों और हवाला के जरिए UAE भेजा पैसा

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (Directorate of Enforcement – ED) ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA), 1999 के तहत बड़ी कार्रवाई करते हुए मेसर्स रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (R-Infra) के ₹54.82 करोड़ मूल्य के बैंक खाते जब्त कर लिए हैं। यह कुर्की FEMA की धारा 37A के तहत की गई है, जो FEMA की धारा 4 के उल्लंघन से संबंधित है।

ED की विशेष कार्य बल (Special Task Force), मुख्यालय द्वारा की गई इस जांच में रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (R-Infra) पर सार्वजनिक धन की हेराफेरी करने का आरोप लगा है।

🛣️ हाईवे प्रोजेक्ट के फंड में गड़बड़ी

ED की जांच के मुख्य खुलासे निम्नलिखित हैं:

  • जनता के धन की हेराफेरी: R-Infra ने अपने विशेष प्रयोजन साधनों (SPVs) के माध्यम से भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा राजमार्ग निर्माण परियोजनाओं के लिए दिए गए सार्वजनिक धन का गबन किया।

  • काल्पनिक उप-ठेके: इस धनराशि को काल्पनिक उप-ठेका व्यवस्थाओं के बहाने मुंबई स्थित फर्जी कंपनियों में स्थानांतरित किया गया।

  • फर्जी संस्थाओं का जाल: इन फर्जी संस्थाओं को मुंबई की विशिष्ट बैंक शाखाओं में छद्म (फर्जी) निदेशकों का उपयोग करके समन्वयित तरीके से स्थापित किया गया था।

💎 हीरों के आयात के नाम पर हवाला

जब्त किए गए धन की हेराफेरी का तरीका चौंकाने वाला था:

  1. लेयरिंग: फर्जी कंपनियों के नेटवर्क के माध्यम से धन को कई स्तरों पर छिपाया गया (Layering)।

  2. विदेश भेजा गया: यह पैसा बिना किसी सममूल्यक सामान या दस्तावेज़ प्राप्त किए, तराशे हुए और गैर-तराशे हुए हीरों के आयात के नाम पर भारत से बाहर संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में भेज दिया गया।

  3. हवाला कनेक्शन: UAE की जिन संस्थाओं को यह धन भेजा गया, उनके बैंक खाते UAE और हांगकांग दोनों जगह थे। जांच में पाया गया कि ये संस्थाएँ अवैध अंतर्राष्ट्रीय हवाला लेन-देन में शामिल व्यक्तियों द्वारा नियंत्रित थीं।

📉 बैंकों को नुकसान और NPA का बोझ

परियोजना धन के इस विचलन (Diversion) के कारण प्रभावित SPVs में गंभीर वित्तीय तनाव उत्पन्न हो गया।

  • NPA में परिवर्तन: वित्तीय तनाव के परिणामस्वरूप, बैंकों द्वारा दिए गए ऋण गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) में परिवर्तित हो गए।

  • सार्वजनिक हित को क्षति: इससे न केवल ऋणदाताओं को नुकसान हुआ, बल्कि सार्वजनिक वित्तीय हित भी प्रभावित हुए।

ED ने यह भी पाया है कि जिन फर्जी संस्थाओं के माध्यम से यह हेराफेरी की गई थी, वे ₹600 करोड़ से अधिक के अंतर्राष्ट्रीय हवाला लेनदेन में शामिल थीं।

मामले में आगे की जांच प्रगति पर है।


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