संसद प्रश्न: गगनयान मिशन की स्थिति

गगनयान मिशन की वर्तमान स्थिति और प्रमुख तकनीकी प्रगति निम्न विवरण में दी गई है:

मानव-चालित प्रक्षेपण यान (HLVM3): विकास और ग्राउंड टेस्टिंग पूर्ण।

कक्षीय मॉड्यूल: क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल के लिए प्रोपल्शन सिस्टम विकसित और परीक्षण की गईं। ECLSS इंजीनियरिंग मॉडल साकार हुआ।

क्रू एस्केप सिस्टम (CES): 5 प्रकार की मोटरें विकसित और स्थैतिक परीक्षण की गईं।

अवसंरचना स्थापित: कक्षीय मॉड्यूल तैयारी सुविधा, गगनयान नियंत्रण केंद्र, गगनयान नियंत्रण सुविधा, चालक दल प्रशिक्षण सुविधा, द्वितीय प्रक्षेपण पैड सुधार।

पूर्ववर्ती मिशन: CES के सत्यापन के लिए एक परीक्षण वाहन विकसित किया गया और TV-D1 में उड़ान परीक्षण किया गया। TV-D2 और IADT-01 के लिए गतिविधियाँ प्रगति पर हैं

उड़ान संचालन और संचार नेटवर्क: भू-नेटवर्क कॉन्फ़िगरेशन को अंतिम रूप दिया गया। IDRSS-1 फीडर स्टेशन और स्थलीय संपर्क स्थापित किए गए।

क्रू रिकवरी ऑपरेशन: रिकवरी एसेट्स को अंतिम रूप दिया गया। रिकवरी योजना तैयार की गई।

सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम (SMPS): योग्यता परीक्षण कार्यक्रम सहित विकास कार्य पूरा हो गया।

पहला मानवरहित मिशन (G1): C32-G चरण और CES मोटर्स का निर्माण पूरा हो गया। HS200 मोटर्स और CES फ़ोर, क्रू मॉड्यूल जेटिसनिंग मोटर तक पहुँच गए। क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल संरचना का निर्माण पूरा हो गया। क्रू मॉड्यूल चरण-1 की जाँच पूरी हो गई।

गगनयान मिशन से होने वाले आर्थिक लाभ: गगनयान की दिशा में स्वदेशी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास से निवेश आकर्षित होगा, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा।

इससे फार्मास्यूटिकल, बायोमेडिकल इंस्ट्रूमेंटेशन, सामग्री विकास, कक्षा में विनिर्माण, अंतरिक्ष पर्यटन और अन्य क्षेत्रों में नए नवाचारों और अनुसंधान के विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा। इसके दीर्घकालिक आर्थिक लाभ होंगे।

गगनयान मिशन के लिए चुने गए वायु सेना के पायलटों का सामान्य प्रशिक्षण रूस में पूरा हो गया। गगनयान मिशन के लिए विस्तृत प्रशिक्षण पाठ्यक्रम और सुविधाएँ विकसित की गईं। वर्तमान में चयनित वायु सेना पायलटों के गगनयान-विशिष्ट प्रशिक्षण के तीन में से दो सेमेस्टर पूरे हो चुके हैं।

लक्षित तिथियाँ इस प्रकार हैं:

दूसरा परीक्षण यान मिशन (TV-D2) – 2025 की तीसरी तिमाही।

गगनयान मिशन के अंतर्गत पहली मानवरहित कक्षीय उड़ान – 2025 की चौथी तिमाही।

दूसरी और तीसरी मानवरहित कक्षीय उड़ान (G2 और G3) – 2026।

राज्यसभा में आज एक लिखित उत्तर में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय राज्य मंत्री, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग और अंतरिक्ष विभाग, डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी।

ब्यूरो चीफ, रिजुल अग्रवाल

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