अल्लाह पाक के नज़दीक क़ुर्बानी एक बेहेत्रीन अमल

अल्लाह पाक के नज़दीक क़ुर्बानी  एक बेहेत्रीन अमल
दो चीजें अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने हर क़ौम पर फर्ज कीं है एक रोज़ा  दूसरे कुर्बानी,इस्लाम में क़ुर्बानी की बडी अहमियत है इस्लामी साल का महीना ही क़ुर्बानी से शुरु होता है और खत्म भी क़ुर्बानी पर होता है अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के नज़दीक क़ुर्बानी   का अमल बहुत ही प्यारा अमल है अब कुर्बानी चाहे पैसे की हो, जानवर की हो या फिर ख्वाहिशात की ।
 कुर्बानी अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के नज़दीक बहुत पसंद दीदा अमल है लेकिन यह सब अल्लाह पाक की रज़ा के लिए होना चाहिए ना की आपनी अना या ज़ात के लिए,क़ुर्बानी हज़रत इब्राहीम अलैहिस्स्लां की सुन्नत है  और  हज़रत इब्राहिम अल्लाह के पैगंबर हैं आपने तमाम उम्र अल्लाह के बन्दों  की खिदमत में गुजार दी,करीब 90 साल की उम्र तक उनके कोई संतान नहीं हुई, तब उन्होंने अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त की बार्गाह में दुआ के लिये हाथों को बुलंद किया और पर्वर्दिगार ने अपने दोस्त यानी खलील की दुआ क़ुबूल की और उन्हें चाँद-सा बेटा इस्माइल अलैहिस्स्लां की शक्ल में अता फरमाया,इस्माईल थोडे से बड़े हुए थे की हज़रत इब्राहिम को ख्वाब में अल्लाह का हुकुम हुआ कि इब्राहीम क़ुर्बानी करो आपने रिवायेत के मुताबिक़ 100 बकरे क़ुर्बान कर दिये फिर ख्वाब आया की क़ुर्बानी करो आपने फिर 100 ऊंट क़ुर्बान किये आपने फिर ख्वाब देखा अपनी सबसे प्‍यारी चीज को कुर्बान कर दो यानी अपने बेटे को क़ुर्बान करो,तब इब्राहीम अलैहिस्स्लां ने अपने बेटे इस्माइल को तय्यार किया और क़ुर्बानी के लिये सुनसान मक़ाम पर ले गय और आपनी तथा अपने बेटे की आंख पर पट्टी बान्ध कर छुरी चला दी यह अदा उस रब्बुल इज़्ज़त को इतनी पसन्द आई कि  उसने क़्यामत तक के लिये इसको हर साहिबे इस्ततात यानी हर पैसे वाले पर वाजिब क़रार दे दी,
तब से आज तक पूरी दुनिया के मुसलमान इस सुन्नत को हर साल अदा करते हैं,क़ुर्बानी के इस अमल से दुनिया में यह पैगाम भी जाता है की क़ुर्बानी एक अच्छी चीज़ है बशर्ते वो दिखावा ना होकर सिर्फ और सिर्फ अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त के लिये हो। कुछ मुस्लिम परिवारों में कुर्बानी के लिए बकरे को पालपोसकर बड़ा भी  किया जाता है और फिर ईदुल अज़हा यानी बकरीद पर उसकी कुर्बानी दी जाती है। और जो लोग बकरे को नहीं पालते हैं और फिर भी उन्‍हें कुर्बानी देनी होती है उन्हें कुछ दिन पहले बकरा खरीदकर लाना होता है ताकि उस बकरे से उन्हें लगाव हो जाए,कुर्बानी का एक अहम बात को  अक्सर लोग भूल जाते हैं अपनी सहूलियत के हिसाब से कुर्बानी करना चाहिए  कुर्बानी का सबसे पहला हिस्सा है  जिस जगह पर जानवर को कुर्बान किया जाए वह जगह पूरी तरीके साफ कर ली जाए फिर छोरी में धार तेज कर ली जाए कुर्बानी के जानवर का खून गड्ढे में जाए नाली में कतई नहीं जाना चाहिए या फिर बालू मिट्टी में हो कुर्बानी के जानवर का खून नाली में जाना
 भी गुनाह है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: