अनुसंधान के लिए विषयों का चयन सीमित करने का कोई निर्देश नहीं
सरकार का अनुसंधान में स्वच्छंदता के सिद्धांत में विश्वास
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अनुसंधान के लिए विषयों का चयन सीमित करने के संबंध में कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए हैं, जैसा कि मीडिया के एक वर्ग में जानकारी दी गई है। सरकार का अनुसंधान में स्वच्छंदता के सिद्धांत में विश्वास है।
पिछले वर्ष 11 ऐसे केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की एक बैठक हुई थी, जो अनुसंधान में पीछे थे। उस बैठक में उन्होंने अनुसंधान में सुधार करने के लिए एक रोडमैप प्रस्तुत किया था और राष्ट्रीय महत्व से जुड़े मुद्दों पर अधिक अनुसंधान करने के विषय पर विचार-विमर्श किया था। बैठक के बारे में लिखित ब्यौरा (मिनट्स) रिकॉर्ड किए गए थे।
सरकार ने अनुसंधान सुविधओं में सुधार और उनके विस्तार को गति प्रदान की है। सरकार ने किसी भी विषय में विदेशी विश्वविद्यालयों के साथ संयुक्त अनुसंधान के लिए इम्पैक्टफुल पॉलिसी रिसर्च इन सोशल साइंसेज (आईएमपीआरईएसएस) के अंतर्गत सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परियोजना के लिए 480 करोड़ रुपये; बुनियादी विज्ञान में अनुसंधान के लिए 225 करोड़ रुपये; प्रौद्योगिकी संबंधी अनुसंधान के लिए इम्पेक्टिंग रिसर्च, इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी (आईएमपीआरआईएनटी) के अंतर्गत 1000 करोड़ रुपये; मानविकी में अनुसंधान के लिए एसटीआरआईडीई के अंतर्गत 450 करोड़ रुपये; और स्कीम फॉर प्रमोशन ऑफ एकेडेमिक एंड रिसर्च कॉलेबोरेशन (एसपीएआरसी) के अंतर्गत 480 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं।