अग्रणी प्रक्रिया: डॉक्टरों ने एक इराकी रोगी के कृत्रिम हृदय को निकाला, फ़ेल हृदय साल भर की दवा और निगरानी के साथ फ़िर से अच्छा हुआ
अग्रणी प्रक्रिया: डॉक्टरों ने एक इराकी रोगी के कृत्रिम हृदय को निकाला, फ़ेल हृदय साल भर की दवा और निगरानी के साथ फ़िर से अच्छा हुआ

● एशिया में पहली बार, बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टरों ने नवीन तकनीक के साथ हनी जवाद मोहम्मद का कृत्रिम हृदय हटाया, जो कृत्रिम हृदय प्रत्यारोपण (एलवीएडी) से गुजर चुके थे
● एक साल तक निरंतर निगरानी, दवाओं और आराम से प्राकृतिक हृदय को ठीक होने में मदद मिली जो कि किसी चिकित्सा चमत्कार से कम नहीं है
नई दिल्ली, 10 जुलाई, 2019
पिछले कुछ वर्षों के दौरान, इराकी व्यवसायी, 52 वर्षीय हनी जवाद मोहम्मद ने आतंकवादियों द्वारा बंधक बनाने, बंदूकधारियों, खराब दिल और टर्मिनल हार्ट फेल जैसे कई चरणों का अनुभव किया। हनी जवाद को तुरंत अपने दिल के लिए सर्जिकल इलाज की आवश्यकता थी और डॉ. अजय कौल – सीटीवीएस के अध्यक्ष और प्रमुख, बीएलके हार्ट सेंटर और उन्नत कृत्रिम हृदय प्रत्यारोपण (एलवीएडी) वाली टीम ने उन्हें नया जीवन दिया। प्रत्यारोपण के बाद, रोगी अपने मापदंडों को बनाए रखने के लिए डॉ. कौल और उनकी टीम के साथ निरंतर फॉलोअप करते रहें। एक साल तक निरंतर निगरानी और दवाओं ने बीमार असली हृदय को फिर से ठीक होने में मदद की। एक साल बाद वह बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में फॉलोअप के लिए आए और पूरी तरह से जांच के बाद, डॉक्टरों ने पाया कि असली दिल ने उनकी अपेक्षा से भी अच्छी तरह से काम करना शुरू कर दिया था। इसलिए, उन्होंने कृत्रिम हृदय को हटा दिया और अब जवाद का अपना स्वाभाविक हृदय बिना किसी सहारे के सामान्य रूप से फिर से धड़कने लगा है।
डॉ. अजय कौल, अध्यक्ष और विभागाध्यक्ष, सीटीवीएस, बीएलके सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने बताया, “हनी जवाद ने एक साल पहले गंभीर रूप से बीमार अवस्था में हमसे मुलाकात की – एक खराब दिल और तेजी से बिगड़ती स्वास्थ्य स्थिति के साथ। उन्हें हृदय प्रत्यारोपण या कृत्रिम हृदय प्रत्यारोपण का विकल्प दिया गया था। लेकिन डोनर के दिल की भारी कमी और हनी जवाद की गंभीर स्थिति के कारण, कृत्रिम हृदय प्रत्यारोपण उसकी जान बचाने के लिए हमारे लिए एकमात्र विकल्प था। सर्जरी के बाद वह लगातार हमारे साथ फॉलोअप कर रहे थे और हम उनके इम्प्लांट और दवा और आराम पर रखे गए उनके प्राकृतिक दिल की निगरानी कर रहे थे।”
“एक साल बाद जब वह फॉलोअप के लिए आए, तो हमने पाया कि रोगी का अपना दिल जो प्रत्यारोपण से पहले विफल हो रहा था, वह बहुत अच्छी तरह से और हमारी उम्मीदों से परे था। एक सुविचारित योजना के साथ, हमने कृत्रिम प्रत्यारोपण के कामकाज को धीमा करके उनके मूल हृदय के कामकाज की निगरानी की। हमने इस प्रक्रिया को दो महीने में 3-4 बार दोहराया और महसूस किया कि लगभग एक साल के आराम के बाद उनका दिल धीरे-धीरे ठीक होने लगा था। आमतौर पर, ऐसी स्थिति में, मूल हृदय 10-15% तक रिकवरी दिखा सकता है, लेकिन उनका दिल काफी बेहतर काम कर रहा था, जो एक चिकित्सा चमत्कार की तरह है। पुष्टि करने के बाद हमने फिर से उनका ऑपरेशन किए बिना नई तकनीक के साथ कृत्रिम हृदय को हटा दिया,” डॉ. कौल ने कहा, जिन्होंने कृत्रिम हृदय के समर्थन को खत्म करने की एक नवीन और सबसे उन्नत तकनीक का आविष्कार किया है।
जवाद अच्छी तरह से ठीक हो गए और इसका श्रेय चिकित्सा के आधुनिक चमत्कारों के लाभ को जाता है, जिससे वह न केवल इस जानलेवा स्थिति से बच पाए, बल्कि उनकी ज़िंदगी की गुणवत्ता भी बेहतर हो गई। जवाद ने कहा, “मैं बहुत खुश और डॉ. अजय कौल का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने मुझे एक बार फिर प्राकृतिक ह्रदय के साथ नया जीवन दिया। अपने जीवन में मैंने कई उतार—चढ़ाव देखें। पहले एक आतंकवादी की कैद में था, जहां से मैं भागने में कामयाब रहा। कई बार बंदूक की गोली से घायल होने के बाद भी, मैं कई सर्जरी और अंत में यहां आर्टिफिशियल हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद बच गया। यह एक नया जन्म है, विफल हृदय से कृत्रिम हृदय से एक बार फ़िर प्राकृतिक हृदय तक।”
डॉ. कौल ने कहा, “जवाद की कहानी दवाओं के आधुनिक चिकित्सा चमत्कार का एक उदाहरण है जो उन्हें जीवन की बेहतर गुणवत्ता की ओर ले जाता है। यह भारत और शायद एशिया में पहली बार माना जाता है। एक कृत्रिम हृदय (एलवीएडी) जिसे प्रत्यारोपण के लिए एक पुल के रूप में माना जाता है और आम तौर पर मरीज अंतिम उपचार के रूप में एक कैडवेरिक हृदय प्राप्त करने की प्रतीक्षा करते हैं। लेकिन उनके मामले में, कृत्रिम हृदय प्रत्यारोपण ने उनके बीमार दिल को पूरी तरह सामान्य हृदय की पूरी रिकवरी के साथ एक गंतव्य थैरेपी साबित हुआ है।”
यह इराकी व्यवसायी पिछले साल जब बीएलके सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में पहली बार आए थे, तो कुछ कदम भी नहीं चल पाते थे और व्हीलचेयर पर थे। कई अस्पतालों ने उनकी सर्जरी से मना कर दिया था क्योंकि बंदूक की गोली से घायल होने के बाद उनके कई ऑपरेशन हुए थे और यह बहुत ही उच्च जोखिम था। उनके जीवन के लिए बड़ा खतरा दिल की गंभीर विफलता थी, जिसके बारे में उन्हें वर्ष 2017-18 में पता चला। बिना किसी उम्मीद के, उन्होंने बीएलके अस्पताल में डॉ. कौल से संपर्क किया और जुलाई 2018 में एलवीएडी (कृत्रिम हृदय) का प्रत्यारोपण किया गया।
डॉ. कौल ने आगे कहा, “मोहम्मद जैसे विभिन्न टर्मिनल रोगों से पीड़ित लोगों के लिए भारत तेजी से पसंदीदा हेल्थकेयर डेस्टिनेशन बन रहा है। अत्यधिक अनुभवी विशेषज्ञ, गुणवत्तापूर्ण उपचार, अत्याधुनिक तकनीकों और अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों का बढ़ता अनुपालन भारत में चिकित्सा उपचार की मांग का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।”
बीएलके सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के बारे में
बीएलके सुपर स्पेशलिटी दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के सबसे बड़े निजी अस्पतालों में से एक है जिसमें 650 बेड की क्षमता है, जिसमें 125 क्रिटिकल केयर बेड भी शामिल हैं। सभी एंबुलेंस सेवाओं को स्मार्ट तरीके से डिज़ाइन किया गया है ताकि इंटरवेंशनल सेवाओं तक त्वरित पहुंच सुनिश्चित हो सके। अस्पताल में 17 अत्याधुनिक अच्छी तरह से सुसज्जित मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर और एक विश्व स्तरीय पैथोलॉजी लैब है। अस्पताल सबसे आधुनिक बुनियादी सुविधाओं से सुसज्जित है, और प्रख्यात डॉक्टर इसका उत्कृष्टता केंद्र चलाते हैं। अस्पताल में एशिया की सबसे बड़ी बोन मैरो प्रत्यारोपण इकाइयां हैं। हमने साइबरनाइफ वीएसआई, ट्रायोलॉजीटैक्सिनियर एक्सेलेरेटर, बाई प्लेन न्यूरो इंटरवेंशनल लैब जैसी बहुत ही उच्च-स्तरीय तकनीकों को तैनात किया है जो रोगियों की जटिल चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार हैं। हमारी अवसंरचना और सेवाएं बीएलके के इलाज करने के उत्साह के दर्शन प्रमाण हैं। अस्पताल का स्वामित्व और प्रबंधन रेडिएंट लाइफ केयर द्वारा किया जाता है, जो मुंबई के प्रतिष्ठित नानावटी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का भी प्रबंधन करता है।
I.K Kapoor