कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवान के नाते रिश्तेदार आज भी करते हैं गर्व

बरेली। उनकी शहादत को सलाम जो लौट कर घर नहीं आए कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवान के नाते रिश्तेदार आज भी करते हैं गर्व कारगिल युद्ध में शहीद हुए बरेली का जवान भले ही अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनके परिवार को उनकी यादें आज भी वापस आती हैं पत्नी और बच्चों को फक्र है कि उनके पिता कारगिल युद्ध में शहीद हो गए और दुश्मन को छक्के छुड़ा दिए बरेली से यह खास रिपोर्ट कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवान की पत्नी आज भी करती है गर्व

 

बरेली, शहीदों की याद पर हर बरस लगने वाले मेले पर व बरेली शहर की शहीद की पत्नी अपने पति की शहादत पर हर साल गर्व महसूस करती है कारगिल युद्ध के दौरान बरेली शहर के रहने वाले हरिओम भले ही अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनकी यादें आज भी उनके परिवार और रिश्तेदारों में रह गई हैं हरि ओम ने कई युद्धों में लिया है भाग दुश्मन के छुड़ाए छक्के

मूल रूप से बदायूं जिले की बिसौली तहसील के रहने वाले हरिओम सिंह की जो पैरा स्पेशल फोर्सेज के जवान थे जिन्होंने पहाड़ों और सियाचिन जैसे जबरदस्त बर्फीले इलाकों में सरहदों की हिफाजत करते अपनी ज्यादातर ड्यूटी पूरी की। उन्होंने तीन युद्ध लड़े ऑपरेशन रक्षक, ऑपरेशन मेघदूत और अपने अंतिम युद्ध ऑपरेशन विजय 1 जुलाई 1999 में कारगिल युद्ध में शहीद हो गए। जिसमें स्पेशल सर्विस मेडल मरणोपरांत उनको मिला।

कारगिल युद्ध से पूर्व छुट्टियां बिताने बदायूं जिले के बिसौली के गांव इटावा स्थित अपने परिवार और गांव के लोगों से मिलने आए थे लेकिन अचानक कंपनी कमांडर की तरफ से फरमान आने के बाद उन्हें कारगिल युद्ध में जाना पड़ा आदेश मिलते ही वह 26 जून 1999 को ड्यूटी पर रवाना हो गए इसके बाद परिवार के लोगों से उनकी कभी कोई बात नहीं हो सकी। फिर 2 जुलाई को उनके शहीद होने की खबर पहुंची जिससे पूरा परिवार टूट सा गया

लेकिन  भारत सरकार  ने शहीद के परिवार को घर चलाने के लिए उनके बरेली के डीडी पुरम में पेट्रोल पंप दिया है जिसे उनकी पत्नी गुड्डी देवी और बेटा प्रताप संचालित करते हैं । पति की शहादत को याद करते ही आंखे हो जाती हैं भावुक उनकी शहादत को सलाम  जो लौट कर घर नहीं आए शहीद हरिओम के पुत्र प्रताप का कहना है कि उनके पिता पर उन्हें गर्व है कि उन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दे दिया ।वही हरि ओम की पत्नी गुड्डी देवी के पति की शहादत को बताते बताते आज भी आंखों से आंसू निकल पड़ते हैं लेकिन उन्हें फक्र है कि उनके पति कारगिल युद्ध में दुश्मनों को मारते मारते शहीद हो गए .

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